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हाई लोन ग्रोथ के जरिए बैंकों की जोखिम उठाने की क्षमता क्रेडिट तय करने में अहम, फिच रेटिंग्स की राय

एजेंसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में 38 प्रतिशत से बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का करीब 40 प्रतिशत होने के बावजूद भारत का घरेलू ऋण दुनिया में सबसे कम है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : May 13, 2024 14:21 IST, Updated : May 13, 2024 14:27 IST
बैंकों की क्षमता और वृद्धि की चाह बढ़ी है। - India TV Paisa
Photo:REUTERS बैंकों की क्षमता और वृद्धि की चाह बढ़ी है।

फिच रेटिंग्स ने सोमवार को कहा कि बेहतर वित्तीय प्रदर्शन के बावजूद हाई लोन ग्रोथ के जरिए भारतीय बैंकों की रिस्क उठाने की क्षमता उनकी साख यानी क्रेडिट के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बनी रहेगी। एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि पिछले लोन साइकल से संपत्ति की गुणवत्ता का दबाव कम हो रहा है, जिससे अनुकूल कारोबारी माहौल बन रहा है। इससे बैंकों की क्षमता और वृद्धि की चाह बढ़ी है। भाषा की खबर के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में बैंक ऋण में वित्त वर्ष 2022-23 के समान 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

सरकारी और प्राइवेट बैंक पर फिज की राय

खबर के मुताबिक, यह बैंक ऋण वित्त वर्ष 2014-15 और 2021-22 की तुलना में आठ प्रतिशत सीएजीआर (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) से अधिक है। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट ‘बेहतर प्रदर्शन के बावजूद भारतीय बैंकों की व्यवहार्यता रेटिंग पर जोखिम लेने की क्षमता का असर’ में कहा कि बड़े निजी बैंकों ने पिछले ऋण चक्र (लोन  साइकल) में महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी हासिल की और तेजी से बढ़ना जारी रखा। सरकारी बैंक भी तेजी से वृद्धि की राह पर लौट आए लेकिन बड़े निजी बैंक पिछड़ गए।

भारत का घरेलू ऋण दुनिया में सबसे कम

फिच ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में 38 प्रतिशत से बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का करीब 40 प्रतिशत होने के बावजूद भारत का घरेलू ऋण दुनिया में सबसे कम है। एजेंसी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने घरेलू बचत दर में गिरावट, प्रारंभिक चूक, प्रति उधारकर्ता उच्च ऋण (उपभोग ऋण उधारकर्ताओं में से 43 प्रतिशत के पास तीन ‘लाइव’ ऋण थे) और उपभोग ऋण में वृद्धि के बारे में चिंता व्यक्त की है। भले ही सुरक्षित ऋण बैंकों की ऋण पुस्तिकाओं पर हावी हैं।

फिच रेटिंग्स का कहना है कि एसएमई और कृषि ऋणों में बैंकों की रुचि भी बढ़ रही है। एसएमई ऋणों में जोखिम को कम करने के लिए बैंक अक्सर सरकारी गारंटी पर भरोसा करते हैं, लेकिन इन गारंटियों द्वारा कवर किए गए जोखिमों पर बेहतर दृश्यता की गुंजाइश है।

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