भारत में जूतों के लिए एक नया कानून आने वाला है। सरकार जुलाई से फुटवियर से संबंधित नए नियम लागू करने जा रही है। इससे आम लोगों को घटिया क्वालिटी के जूतों से निजात मिलेगी।
सरकार ने ऑटोमोबाइल और वाहन कलपुर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद, दवा समेत 14 क्षेत्रों के लिए इस योजना को मंजूरी दी हुई है।
केन्द्रीय मंत्री के मुताबिक साल 2025 तक भारत से चमड़े का निर्यात 10 अरब डॉलर का स्तर पार कर सकता है
उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग की निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, कम ब्याज दरों और लचीले पुनर्भुगतान विकल्पों के साथ अतिरिक्त ऋण दिये जाने पर विचार करना चाहिये।’’
अधिकारी ने बताया कि व्यय वित्त समिति ने पहले ही मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे पहले आईएफएलएडीपी को 2,600 करोड़ रुपये के खर्च के साथ तीन वित्त वर्षों 2017-18 से 2019-20 के लिए मंजूरी दी गई थी।
देश का चमड़ा, उसके उत्पादों और जूते-चप्पलों का निर्यात अप्रैल-मई 2021 में पिछले साल की इसी अवधि के 14.679 करोड़ डॉलर से बढ़कर 64.172 करोड़ डॉलर हो गया।
केंद्र सरकर ने चमड़ा व फुटवियर क्षेत्र में रोजगार सृजन के लिए 2,600 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज को आज मंजूरी दे दी है।
देश का निर्यात चालू वर्ष के अक्तूबर महीने में 1.12 प्रतिशत घटकर 23 अरब डॉलर रह गया। सितंबर महीने में इसमें अच्छी खासी वृद्धि दर्ज की गई थी।
FIEO ने कपड़ा और चमड़ा क्षेत्र के लिए एकसमान वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर के लिए राज्य सरकारों से समर्थन मांगा है।
भारत द्वारा हाल ही में वध के लिए पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने का कानून देश की लेदर एक्सपोर्ट इंडस्ट्री के लिए बुरी खबर है।
अरुण जेटली ने श्रम आधारित क्षेत्रों चमड़ा और फुटवियर के लिए एक योजना लाने की घोषणा की है। यह योजना कपड़ा क्षेत्र की तर्ज पर होगी।
नोटबंदी की वजह से लेदर उद्योग पर सख्त मार पड़ रही है। लेदर की चीजों के उत्पादन में 60% की गिरावट आने की वजह से करीब 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गए हैं।
सरकार आगामी बजट में चमड़ा और जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर के लिए टैक्स छूट देने पर विचार कर रही है। इससे मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात निर्यात को बढ़ावा मिल सके।
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