अमेरिका ने भारतीय यात्रियों को बड़ा अलर्ट जारी कर दिया है। अगर कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए अमेरिका जाने की कोशिश कर रहा है कि वहां उसका बच्चा जन्म ले और उसे अमेरिकी नागरिकता मिल जाए, तो उसे टूरिस्ट वीजा बिल्कुल नहीं मिलेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा फैसला घोषित कर दिया है, जो न सिर्फ अमेरिका की वर्कफोर्स बल्कि पूरे ग्लोबल जॉब मार्केट को हिला सकता है। ट्रंप प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर ‘ट्रंप गोल्ड कार्ड’ लॉन्च कर दिया है।
अमेरिका की वीजा पॉलिसी में हाल ही में बड़ा बदलाव किया गया है, जिससे विदेशियों के लिए अमेरिकी सपनों तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। नई गाइडलाइन के तहत, अगर कोई आवेदक मोटापे, डायबिटीज, दिल की बीमारी या किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो उसका वीजा रिजेक्ट किया जा सकता है।
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी का नया नियम और फ्लोरिडा सरकार का रुख- दोनों ही संकेत हैं कि अमेरिका में विदेशी कर्मचारियों, विशेष रूप से भारतीय वर्क वीज़ा धारकों, के लिए आने वाले समय में हालात और सख्त हो सकते हैं।
एंप्लॉयर (कंपनी) के साइज और बाकी कॉस्ट के आधार पर H-1B वीजा फीस अभी तक लगभग 2,000 अमेरिकी डॉलर से 5,000 अमेरिकी डॉलर तक था।
ट्रंप प्रशासन विशेष रूप से विदेशी छात्रों के वीजा की समीक्षा पर जोर दे रही है। स्टेट डिपार्टमेंट के मुताबिक, जनवरी से अब तक 6,000 वीजा रद्द किए गए हैं।
USCIS ने चाइल्ड स्टेटस प्रोटेक्शन एक्ट के तहत आयु गणना से जुड़ी अपनी पॉलिसी को अपडेट किया है। इसके अलावा, विदेश विभाग ने H-1B वीजा और अन्य नॉन-इमिग्रेंट वीजा नियमों में भी बड़े बदलाव किए हैं।
मार्च 2023 के आंकड़ों के हिसाब से, लगभग 1.34 लाख भारतीय बच्चों के आश्रित वीज़ा की स्थिति समाप्त होने की उम्मीद है, इससे पहले कि उनके परिवारों को ग्रीन कार्ड मिले।
अमेरिकी वीजा के लिए अप्लाई करने के लिए आपके पास एक वैलिड पासपोर्ट होना बहुत जरूरी है। आप अमेरिका में जितने समय के लिए रहना चाहते हैं, आपका पासपोर्ट कम से कम उस अवधि से 6 महीने ज्यादा के लिए वैलिड होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो आपको नए पासपोर्ट बनने तक इंतजार करना होगा।
अगर आप आज की तारीख में अमेरिका में अकेले रहते हैं तो आपके एक महीने का औसत खर्च 2800 से 3200 डॉलर के आसपास पड़ेगा। भारतीय करेंसी के हिसाब से देखें तो आपको अमेरिका में रहने के लिए हर महीने करीब 2.43 लाख रुपये से 2.77 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी।
US Visa: अब अमेरिका से वीजा मिलने में अधिक समय नहीं लगेगा। पीएम मोदी यूएस के दौरे पर जा रहे हैं। उससे पहले ही अमेरिका की सरकार ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दे दी है।
H-1B वीजा एक गैर-आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेष प्रकार की नौकरियों जिनमें प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है, के लिए रखने की सुविधा देता है।
America जैसे देशों का टूरिस्ट वीजा हासिल करने की वेटिंग मार्च और अप्रैल 2024 में दिखा रहा है। यही हाल यूरोपीय देशो का भी है।
ट्रंप प्रशासन की अति प्रतिबंधात्मक नीतियों के चलते एच-1बी आवेदनों को खारिज किए जाने की दर 2015 के मुकाबले इस साल बहुत अधिक बढ़ी हैं।
अमेरिका में विदेशी नागरिकों की बारीकी से जांच करने के लिए अपनाई गई नई नीति के तहत यहां प्रवेश के लिए लगभग सभी वीजा आवेदकों को सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बारे में जानकारी देनी होगी।
अमेरिका में नौकरी कर रहे 70 हजार भारतीयों के लिए बुरी खबर है। ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की एक अदालत को बताया कि एच -4 वीजाधारकों की कुछ श्रेणियों को काम करने की मंजूरी (वर्क परमिट) रद्द करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन H-1B वीजा प्रक्रियाओं को तर्कसंगत बनाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। यह वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है। संघीय एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि बेहतरीन और सर्वश्रेष्ठ विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
अमेरिका के वीजा का आवदेन करने वालों को अब अपने पुराने मोबाइल नंबरों, ईमेल आईडी और सोशल मीडिया का इतिहास समेत कई अन्य जानकारियां भी मुहैया करानी होंगी।
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के संगठन नास्कॉम का मानना है कि एच-1बी वीजा के लिए अमेरिका के प्रस्तावित विधेयक में काफी कठिन शर्तें हैं।
सरकार ने उम्मीद जताई कि अमेरिका में एच-1बी वीजा प्रणाली की समीक्षा के समय भारतीय कंपनियों के योगदान द्विपक्षीय संबंधों को ध्यान में रखा जाएगा।
लेटेस्ट न्यूज़