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H-1B वीजा मुद्दे पर अमेरिकी प्रशासन और आईटी इंडस्ट्री के साथ बातचीत कर रही है सरकार, जानें क्या है अपडेट

एंप्लॉयर (कंपनी) के साइज और बाकी कॉस्ट के आधार पर H-1B वीजा फीस अभी तक लगभग 2,000 अमेरिकी डॉलर से 5,000 अमेरिकी डॉलर तक था।

Edited By: Sunil Chaurasia
Published : Sep 21, 2025 12:01 pm IST, Updated : Sep 21, 2025 12:01 pm IST
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Photo:FREEPIK अमेजन के पास हैं H-1B वीजा वाले सबसे ज्यादा कर्मचारी

भारत सरकार H-1B मुद्दे पर आगे का रास्ता खोजने के लिए आईटी इंडस्ट्री और अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत कर रही है। सूत्रों ने शनिवार को ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ऐप्लिकेशन फीस में भारी-भरकम बढ़ोतरी अमेरिकी कंपनियों पर और भी ज्यादा असर डालेगी, क्योंकि ये कंपनियां हाई स्किल्ड प्रोफेशनल्स के लिए खासतौर से इस वीजा प्रोग्राम का इस्तेमाल करती हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिससे H-1B वीजा ऐप्लिकेशन की फीस सालाना 1,00,000 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाएगी। 

पहले 2,000 से 5,000 डॉलर थी H-1B वीजा की फीस

एंप्लॉयर (कंपनी) के साइज और बाकी कॉस्ट के आधार पर H-1B वीजा फीस अभी तक लगभग 2,000 अमेरिकी डॉलर से 5,000 अमेरिकी डॉलर तक था। सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार इस पर आगे का रास्ता निकालने के लिए अमेरिकी सरकार, आईटी इंडस्ट्री और नैस्कॉम के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही है। सूत्रों ने बताया कि चूंकि अमेरिकी कंपनियां इन वीजा की प्रमुख उपयोगकर्ता हैं, इसलिए वे भी इस मामले पर अमेरिकी सरकार के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही हैं। 

अमेजन के पास हैं H-1B वीजा वाले सबसे ज्यादा कर्मचारी

USCIS वेबसाइट के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 (30 जून, 2025 तक के आंकड़े) के लिए अमेजन 10,044 H-1B वीजा स्वीकृतियों के साथ लिस्ट में सबसे ऊपर है। ऐसी टॉप 10 कंपनियों की लिस्ट में टाटा ग्रुप की आईटी कंपनी टीसीएस (5,505) दूसरे स्थान पर है। उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प (5,189), मेटा (5,123), एप्पल (4,202), गूगल (4,181), कॉग्निजेंट (2,493), जेपी मॉर्गन चेज (2,440), वॉलमार्ट (2,390) और डेलॉयट कंसल्टिंग (2,353) का स्थान है। टॉप 20 की लिस्ट में इंफोसिस (2,004), एलटीआईमाइंडट्री (1,807), और एचसीएल अमेरिका (1,728) भी शामिल हैं।

आईटी कर्मचारी और प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा सबसे बुरा असर

ट्रंप प्रशासन द्वारा H-1B वीजा पर एक लाख अमेरिकी डॉलर की फीस लगाने के फैसले से अमेरिका में भारतीय आईटी और पेशेवर कर्मचारी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी मोहनदास पई ने शनिवार को कहा कि H-1B वीजा आवेदकों पर एक लाख अमेरिकी डॉलर की सालाना फीस लगाने से कंपनियों के नए आवेदन कम होंगे। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले महीनों में अमेरिका में आउटसोर्सिंग बढ़ सकती है।

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