अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले भारतीयों के लिए एक नई चिंता सामने आई है। ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीज़ा की जांच प्रक्रिया को इतना सख्त बना दिया है कि अब सिर्फ आपका बायोडाटा ही नहीं, बल्कि आपका लिंक्डइन, सोशल मीडिया प्रोफाइल और फैमिली बैकग्राउंड भी चेक किया जाएगा।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में H-1B वीजा कार्यक्रम में व्यापक बदलाव किया है। ये कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को विशिष्ट व्यवसायों में विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई वीजा पॉलिसी ने एक बार फिर भारतीय IT सेक्टर को चिंतित कर दिया है। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में कहा कि ट्रंप प्रशासन का नया H-1B वीजा प्लान विदेशी एक्सपर्ट्स को अस्थायी तौर पर बुलाकर अमेरिकी वर्कर्स को ट्रेन करने के लिए बनाया गया है।
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी का नया नियम और फ्लोरिडा सरकार का रुख- दोनों ही संकेत हैं कि अमेरिका में विदेशी कर्मचारियों, विशेष रूप से भारतीय वर्क वीज़ा धारकों, के लिए आने वाले समय में हालात और सख्त हो सकते हैं।
एच-1बी वीजा धारक बिना किसी प्रतिबंध के अमेरिका में आना-जाना जारी रख सकते हैं, जो फीस घोषणा के बाद उठाई गई सबसे बड़ी चिंताओं में से एक का समाधान है।
केनेथ रोगॉफ ने कहा, ‘‘अगर आप कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली में जाएं तो वहां भारतीय इंजीनियरों और टैक्निकल प्रोफेशनल्स की संख्या काफी ज्यादा है। अगर इन टैलेंट को आने से रोका गया तो इसके बहुत बड़े दुष्परिणाम होंगे।’’
एआई को अपनाने में वृद्धि और वीजा पर बढ़ते प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी कंपनियों को अपनी श्रम रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में नए H-1B वीजा आवेदनों की लागत में बढ़ोतरी कर दी है।
US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज इस प्रस्ताव को लेकर बुधवार से 30 दिनों तक जनता से सुझाव और टिप्पणियां आमंत्रित करेगा, जिसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
अमेरिका ने H-1B वीजा की फीस में $1,00,000 की जोरदार बढ़ोतरी कर दी है, जाहिर है ऐसे में कई प्रोफेशनल अमेरिका से बाहर जा सकते हैं। चीन ने इसी अवसर का फायदा उठाने के लिए एक K-VISA ऑफर करने की तैयारी कर रहा है, ताकि विदेशी टैलेंस चीन आ सकें।
ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि यह बढ़ोतरी आईटी कंपनियों के लिए एक चुनौती जरूर है, लेकिन उनकी मजबूत रणनीतियां और ऑपरेशनल मॉडल इस असर को काफी हद तक कम कर देंगे।
एंप्लॉयर (कंपनी) के साइज और बाकी कॉस्ट के आधार पर H-1B वीजा फीस अभी तक लगभग 2,000 अमेरिकी डॉलर से 5,000 अमेरिकी डॉलर तक था।
अमेरिका के संघीय आंकड़ों के अनुसार, भारत की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) 2025 तक 5000 से ज्यादा स्वीकृत H-1B वीजा के साथ इस प्रोग्राम की दूसरी सबसे बड़ी लाभार्थी है।
पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान उनके सलाहकार रहे और इमिग्रेशन पॉलिसी पर एशियाई-अमेरिकी समुदाय के नेता अजय भुटोरिया ने H-1B वीजा फीस बढ़ाने संबंधी ट्रंप की नई योजना से अमेरिकी आईटी सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त पर संकट मंडराने की चेतावनी दी।
USCIS ने चाइल्ड स्टेटस प्रोटेक्शन एक्ट के तहत आयु गणना से जुड़ी अपनी पॉलिसी को अपडेट किया है। इसके अलावा, विदेश विभाग ने H-1B वीजा और अन्य नॉन-इमिग्रेंट वीजा नियमों में भी बड़े बदलाव किए हैं।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक्नोलॉजीज जैसी प्रमुख भारतीय आईटी सेवा कंपनियां लगातार एच1बी वीजाधारकों के लिए शीर्ष नियोक्ताओं में शुमार रही हैं। इस बार विप्रो 1,634 वीजा के साथ निचले स्थान पर रही है।
एक साल में 65,000 एच -1बी वीजा जारी किये जाते हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा भारतीयों को मिलता है। ट्रंप सरकार में H-1B वीजा के कड़े नियमों की वापसी हो सकती है।
H-1B Visa: पीएम मोदी का अमेरिका दौरा उन हजारों भारतीयों के लिए एक बार फिर खुशी का कारण बन गया है जो अभी तक H-1B Visa को लेकर इंतजार में बैठे थे।
H-1B Visa Updates: भारत के आईटी पेशेवरों के बीच एच-1बी वीजा की सबसे अधिक मांग रहती है। एच-1बी वीजा, एक गैर-अप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को ऐसे विशेष व्यवसायों में विदेशी कर्मचारियों को नियोजित करने की अनुमति देता है, जिन्हें तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
भारत के आईटी पेशेवरों के बीच एच-1बी वीजा की सबसे अधिक मांग रहती है। एच-1बी वीजा, एक गैर-अप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को ऐसे विशेष व्यवसायों में विदेशी कर्मचारियों को नियोजित करने की अनुमति देता है, जिन्हें तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
अमेरिका में एक न्यायाधीश ने फैसला सुनाया है कि H-1B वीजा धारकों के पति या पत्नी देश में काम कर सकते हैं। इस फैसले से अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र में विदेशी कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है।
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