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"दूसरे मर्द के साथ पत्नी का संबंध बनाना अपराध नहीं", राजस्थान हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

राजस्थान हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि शादी से इतर जब दो वयस्क सहमति से संबंध बनाते हैं, तो यह कोई कानूनी अपराध नहीं है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Mar 27, 2024 11:40 IST, Updated : Mar 27, 2024 11:42 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

राजस्थान में एक पति ने अपनी पत्नी की किडनैपिंग का मामला दर्ज करवाया था, लेकिन जब मामला कोर्ट तक पहुंचा तो पत्नी ने कहा कि उसका किसी ने किडनैप नहीं किया, बल्कि वो अपनी मर्जी से उस शख्स के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है, जिसके खिलाफ उसके पति ने मामला दर्ज करवाया है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि ये कोई कानूनी अपराध नहीं है।

पति की याचिका को कोर्ट ने किया खारिज

राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा कि शादी से इतर जब दो वयस्क सहमति से संबंध बनाते हैं, तो यह कोई कानूनी अपराध नहीं है। हालांकि, इसे अनैतिक समझा जाता है। हाई कोर्ट ने पति की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 497 के तहत व्यभिचार अपवाद था, जिसे पहले ही रद्द किया जा चुका है। जस्टिस बीरेंद्र कुमार ने कहा कि आईपीसी धारा 494 (द्विविवाह) के तहत मामला नहीं बनता है, क्योंकि दोनों में से किसी ने पति या पत्नी के जीवनकाल में दूसरी शादी नहीं की है। जब तक विवाह साबित ना हो जाए, लिव-इन-रिलेशनशिप धारा 494 के तहत नहीं आता।

पत्नी कोर्ट में हलफनामे के साथ हुई पेश

आवेदक ने यह आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था कि उसकी पत्नी का एक शख्स ने अपहरण कर लिया है। इसके बाद उसकी पत्नी कोर्ट में हलफनामे के साथ पेश हुई। वहां उसने कहा कि किसी ने उसका अपहरण नहीं किया, बल्कि अपनी मर्जी से आरोपी संजीव के साथ लिव-इन रिलेशन में है। इसी पर अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 366 के तहत अपराध नहीं हुआ है और एफआईआर रद्द की जाती है।

 याचिकाकर्ता के वकील की दलील?

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि महिला ने स्वीकार किया है कि वह संजीव के साथ विवाहेतर, इसलिए आईपीसी की धारा 494 और 497 के तहत अपराध बनता है। वकील ने सामाजिक नैतिकता की रक्षा के लिए अदालत से अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल की अपील की। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए सिंगल बेंच ने कहा, "यह सच है कि हमारे समाज में मुख्यधारा का विचार यह है कि शारीरिक संबंध केवल शादीशुदा जोड़े के बीच हो, लेकिन जब शादी से इतर दो व्यस्क सहमति से संबंध बनाते हैं तो यह अपराध नहीं है। हालांकि, इसे अनैतिक समझा जाता है। "

व्यस्क महिला जिसके साथ चाहे रह सकती है: कोर्ट

कोर्ट की ओर से कहा गया, "एक व्यस्क महिला जिसके साथ चाहे शादी कर सकती है। जिसके साथ चाहे रह सकती है।" आवदेक की पत्नी ने एक आरोपी व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि उसने अपनी मर्जी से घर छोड़ा और संजीव के साथ संबंध में है।

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