Monday, April 29, 2024
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रामलला की आरती के लिए जोधपुर से भेजा 600 किलो देसी घी, 9 साल में जुटाया; दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी

यह विशेष घृत-रथ यात्रा जोधपुर से रवाना होकर जयपुर, भरतपुर, मथुरा, लखनऊ होते हुए अयोध्या पहुंचेगी। इस दौरान मार्ग में प्रमुख गांवों में इस यात्रा का स्वागत जगह-जगह किया जाएगा। इस यात्रा के दौरान ऐतिहासिक मंदिरों तक शोभायात्रा भी निकाली जाएगी।

Khushbu Rawal Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: November 28, 2023 15:04 IST
ghee kalash- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV रथ रवाना होने से पहले भक्तों ने घी के कलश की आरती की।

अयोध्या में जनवरी 2024 में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन किया जाएगा। मंदिर में भगवान श्री रामलला की पहली आरती सूर्यनगरी जोधपुर के घी से होगी। इसके लिए सोमवार को प्राचीन तरीके से सुसज्जित बैलगाड़ी में 600 किलो शुद्ध देसी घी के 108 कलश रखकर रवाना किए गए। इस रथ के साथ जोधपुर से कई रामभक्त भी अयोध्या के लिए रवाना हुए। रथ में 108 कलश के साथ 108 शिवलिंग भी रखे गए हैं, साथ ही भगवान गणेश, रामभक्त हनुमान की प्रतिमाएं भी रखी गई हैं। रथ रवाना होने से पहले मौके पर मौजूद भक्तों ने घी के कलश की आरती की। जब रथ रवाना हुए तो ने भगवान श्री राम के जयकारों से माहौल गुंजायमान हो गया।

जगह-जगह होगा यात्रा का स्वागत

आश्रम के महंत महर्षि संदीपनी महाराज ने बताया कि भगवान श्री राम का मंदिर बनने को लेकर सदियों से इंतजार था, अब मंदिर बनना खुशी की बात है इसलिए रामभक्तों में उत्साह है। ये सबके लिए अति सौभाग्य की बात है कि जोधपुर से रामकाज के लिए जोधपुर से विशेष घी जा रहा है। यह विशेष घृत-रथ यात्रा जोधपुर से रवाना होकर जयपुर, भरतपुर, मथुरा, लखनऊ होते हुए अयोध्या पहुंचेगी। इस दौरान मार्ग में प्रमुख गांवों में इस यात्रा का स्वागत जगह-जगह किया जाएगा। इस यात्रा के दौरान ऐतिहासिक मंदिरों तक शोभायात्रा भी निकाली जाएगी।

घी को कई सालों तक सुरक्षित रखा गया।

Image Source : INDIA TV
घी को कई सालों तक सुरक्षित रखा गया।

पूरा हो रहा है अब 20 साल पुराना संकल्प

बता दें कि जोधपुर के बनाड़ के पास जयपुर रोड पर श्रीश्री महर्षि संदीपनी राम धर्म गौशाला है। इस गौशाला का संचालन महंत महर्षि संदीपनी महाराज द्वारा किया जा रहा है। महर्षि संदीपनी महाराज ने बताया कि उन्होंने 20 साल पहले एक संकल्प लिया था कि अयोध्या में जब भी राम मंदिर बनेगा, उसके लिए गाय का शुद्ध देशी घी लेकर वहां जाएंगे। उन्होंने बताया कि साल 2014 में उन्होंने गायों से भरे एक ट्रक को रुकवाया, जो जोधपुर से गौकशी के लिए ले जाया जा रहा था। ट्रक में करीब 60 गायें थीं तब महाराज ने इन गायों को छुड़वाया और आस-पास की गौशाला में ले गए। इस दौरान सभी गौशाला संचालको ने इन गायों को रखने से मना कर दिया, आखिर में उन्होंने निर्णय लिया कि वे खुद गौशाला शुरू करेंगे और इन गायों को पालेंगे।

लोगों ने उड़ाया मजाक, अब दे रहे सहयोग और साधुवाद

गायों को मुक्त करवाने के दौरान राम मंदिर बनने को लेकर उम्मीद जगने लगी। ऐसे में संदीपनी महाराज ने उन 60 गायों के दूध से घी बनाकर एकत्रित करना शुरू कर दिया, उन्होंने यह संकल्प लिया कि जितना भी घी होगा, उसे वे बैल गाड़ियों के जरिए अयोध्या ले जाएंगे।

महाराज ने  लोगों को जब अपने संकल्प के बारे में बताया तो लोगों ने कई सवाल किए और मजाक उड़ाया कि घी संरक्षित कैसे रहेंगा ? यह असंभव है और यात्रा कैसे पूरी होगी? लेकिन महाराज लोगों के सवालों से विचलित हुए बिना घी एकत्रित करना जारी रखा। साल 2016 में लोगों को जब महाराज के संकल्प की गंभीरता का अहसास हुआ तो वे गौशाला आए। उन्होंने देखा कि महाराज ने घी जुटाना शुरू कर दिया है तो वे लोग भी सहयोग करने लगे, जो पहले सवाल उठाते थे। पहले घी को मटकों में रखा, फिर स्टील की टंकियां, सुरक्षित स्टोरेज के लिए लाई गई। इसके अलावा जड़ी-बूटियों द्वारा घी को सुरक्षित किया गया।

108 कलश को अयोध्या रवाना किया गया।

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108 कलश को अयोध्या रवाना किया गया।

सालों तक ऐसे सुरक्षित रखा घी

महाराज संदीपनी ने बताया कि शुरुआत में वे मटकी में घी एकत्रित करते रहे लेकिन गर्मी की वजह से घी पिघलकर मटकियों बाहर आने लगा क्योंकि मटकी में दरारें आने लगी थी। कई बार तो घी खराब भी हो गया। इस पर किसी दूसरे संत से पता चला कि पांच अलग-अलग जड़ी बूटियों के रस से घी को कई सालों तक सुरक्षित स्टोरेज रखा जा सकता है। ऐसे में महाराज हरिद्वार गए और वहां से ब्राह्मी व पान की पत्तियों समेत अन्य जड़ी-बूटियां लेकर आए। इनका रस तैयार कर घी में मिलाया गया जिसके बाद घी संरक्षित रहने लगा। इसके बाद इस घी को स्टील की टंकियों में डालकर एसी के जरिए 16 डिग्री तापमान में रखा गया।

बदला गया गायों का डाइट प्लान

महाराज संदीपनी ने बताया कि यदि घी में मिलावट हो तो वो जल्दी खराब हो जाता है। उन्होंने जो देसी घी तैयार किया है, वह प्राचीन परंपरा के अनुसार किया गया है, जिसकी वजह से ये खराब नहीं होता। उन्होंने बताया कि घी की शुद्धता बनाए रखने के लिए गायों की डाइट में भी बदलाव किया गया। पिछले 9 सालों से गायों को हरा चरा, सूखा चारा और पानी ही दिया गया। इन तीन चीजों के अलावा बाकी सारी चीजों पर पाबंदी लगा दी। इतना ही नहीं गौशाला में आने वाले लोगों को भी साफ हिदायत दी गई कि इन गायों को बाहर से लाया गया कुछ न खिलाए।

रथयात्रा का अयोध्या पहुंचने से पहले जगह-जगह स्वागत किया जाएगा।

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रथयात्रा का अयोध्या पहुंचने से पहले जगह-जगह स्वागत किया जाएगा।

हर तीन साल में घी को उबाला गया

9 साल में गायों की संख्या 60 से बढ़कर 350 पहुंच गई। इनमे अधिकांश वे गौवंश है, जो सड़क हादसे का शिकार थे या बीमार थे। गायों की संख्या बढ़ी तो घी की मात्रा भी बढ़ने लगी। घी का जड़ी-बूटियों के रस से तो सुरक्षित रखा ही जाता है, लेकिन इसके अलावा भी पूरे घी को हर तीन साल में 1 बार पांच जड़ी बूटियां मिलाकर उबाला गया। इसके लिए घी के बर्तनों को अच्छी तरह साफ किया जाता है। यही कारण है कि इतने साल में भी ये घी खराब नहीं हुआ। इसके अलावा जिस कमरे में ये घी स्टोर किया गया उसमें भी साफ सफाई के साथ ही वेंटिलेशन का भी ख्याल किया गया।

देखें वीडियो-

ये रहेगा यात्रा का रूट-

इस यात्रा के लिए 108 रथ बनाए गए हैं जिनमें 11 बड़े रथ हैं। वहीं 97 छोटे प्रतिकात्मक रथ बनाए गए हैं। रथ के साथ 2 बैल भी चलेंगे। एक रथ का खर्च लगभग 3.5 लाख है। रथ यात्रा जोधपुर से पाली, अजमेर, ब्यावर, जयपुर, भरतपुर, मथुरा, लखनऊ से होते हुए ये सभी ट्रक अयोध्या पहुंचेंगे। यात्रा के दौरान शहर के प्रमुख चार से पांच मंदिरों के दर्शन भी करेंगे। ये सिलसिला अयोध्या तक चलेगा। बताया जा रहा है कि लखनऊ शहर में ये यात्रा पांच दिनों तक रहेगी। पूरे लखनऊ शहर में इस यात्रा को बैलों के साथ घुमाया जाएगा। हर रथ में 3 लोग सेवा देंगे। एक रथ पर साढ़े तीन लाख रुपये का खर्च आया है।

(रिपोर्ट- चन्द्रशेखर व्यास)

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