Tuesday, April 16, 2024
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Dussehra 2022: दशहरा पर लें मां दुर्गा से विजयी होने का आशीर्वाद, जानें शुभ मुहूर्त और कथा

Vijayadashami 2022 : हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तिथि दशहरा मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंका पर जीत हासिल की थी। दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।

Vineeta Mandal Written By: Vineeta Mandal
Updated on: October 03, 2022 11:03 IST
Dussehra 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Dussehra 2022: इस दिन मनाया जाएगा विजयदशमी का पर्व

Highlights

  • दशहरा के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा भी की जाती है।
  • इस दिन जगह-जगह पर रावण का पुतला जलाया जाता है।
  • दशहरा को विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है।

Dussehra 2022:  इस साल 5 अक्टूबर को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तिथि  को दशहरा मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और माता सीता को उसके चंगुल से मुक्त करवाया था। रावण के वध की वजह से दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। दशहरा के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने का भी विशेष महत्व है।  अपने अंदर की बुराइयों को दूर करके स्वयं को अच्छा बनाने का भी संदेश दशहरा में छिपा है। 

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दशहरा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

  • दशहरा तिथि प्रारंभ- 4 अक्टूबर (मंगलवार),  दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से
  • दशहरा तिथि समाप्त- 5 अक्टूबर (बुधवार), दोपहर 12 बजे तक

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क्यों मनाया जाता है दशहरा

बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो आखिर में जीत अच्छाई की ही होती है। दशहरे का पर्व इसी जीत का प्रतीक है। दशहरा को विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम और रावण के बीच पूरे 10 दिनों तक भयंकर युद्ध चला था। इसके बाद 10वें दिन प्रभु राम ने लंकापति का वध कर दिया था। इसी जीत को मनाने के लिए हर साल दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन जगह-जगह पर रावण का पुतला भी जलाया जाता है। इस तरह बुराई को मिटाकर संसार में अच्छाई को स्थापित किया जाता है। हर साल दशहरा मनाने का उद्देश्य लोगों को सत्य, धर्म और अच्छाई का संदेश देना है।

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दशहरा के दिन मां दुर्गा की होती है विदाई

दशहरा के दिन मां दुर्गा की मूर्तियों का भी विसर्जन किया जाता है। वहीं बंगाली संस्कृति में इस दिन सिंदूर खेला की रस्म भी निभाई जाती है। सिंदूर खेला के नवरात्रि का समापन होता है। विवाहित महिलाएं दुर्गा मां को सिंदूर अर्पित कर उनकी विदाई करती हैं। साथ ही महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर भी लगाती हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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