Thursday, April 18, 2024
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Gudi Padwa 2023: गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है? ध्वज लगाते समय इन बातों का रखें खास ध्यान

Gudi Padwa 2023: गुड़ी पड़वा के दिन विजय पताका लगाने से घर में सकारत्मकता बनी रहती है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा की खास धूम रहती है।

Vineeta Mandal Written By: Vineeta Mandal
Updated on: March 22, 2023 6:51 IST
Gudi Padwa 2023- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Gudi Padwa 2023

Gudi Padwa 2023: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से ही हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है। हिंदू नववर्ष को अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा कहते हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है। यहां गुड़ी का अर्थ है 'विजय पताका'। इस दिन अपने घरो में  विजय पताका फहराते हैं। साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे इसकी प्रार्थना भी करते है। पूरे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। 

गुड़ी पड़वा के दिन ध्वज लगाने का सही तरीका या नियम क्या है?

  1. गुड़ी पड़वा के दिन अपने घर के साउथ ईस्ट कोने यानि अग्नि कोण में पांच हाथ ऊंचे डंडे में, सवा दो हाथ की लाल रंग की ध्वज लगानी चाहिए। 
  2. ध्वज लगाते समय जिन देवताओं की उपासना करके, उनसे अपनी ध्वज की रक्षा करने की प्रार्थना की जाती है, उनके नाम हैं- सोम, दिगंबर कुमार और रूरू भैरव।
  3. ध्वज लगाने के बाद इन देवताओं का ध्यान करना चाहिए और अपने घर की समृद्धि के लिये प्रार्थना करनी चाहिए। 
  4. यह ध्वज जीत का प्रतीक माना जाता है। घर पर ध्वज लगाने से केतु के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं और साल भर घर का वास्तु अच्छा रहता है।
  5. ध्वज के अलावा आज के दिन घर के मुख्य दरवाजे पर आम के पत्ते या न्यग्रोध का तोरण भी लगाना चाहिए।

गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है? 

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, प्रभु राम जब माता सीता को रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए लंका की तरफ जा रहे थे तब उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई। सुग्रीव अपने भाई और किष्किन्धा के राजा बाली से बहुत ही प्रताड़ित थे। भगवान राम से मिलने के बाद सुग्रीव ने अपना सारा दर्द उन्हें सुना दिया। साथ ही उन्होंने रघुनंदन को बाली के अत्याचार और अन्याय की कहानी भी बयां की। सुग्रीव की बातें सुनने के बाद भगवान राम ने बाली का वध कर दिया और किष्किन्धा और सुग्रीव को को उसके आतंक से मुक्त कर दिया। कहते हैं वह दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि ही थी। तब से ही इस दिन घरों में  विजय पताका फहराया जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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