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Sheetala Ashtami 2024: शीतला मां को इसलिए लगता है ठंडे और बासी भोजन का भोग, रोचक है इससे जुड़ी कहानी

Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। माता को बासी भोजन का भोग क्यों लगाया जाता है, इसी की जानकारी आपको हमारे लेख में मिलेगी।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Apr 01, 2024 14:32 IST, Updated : Apr 01, 2024 14:32 IST
Sheetala Ashtami- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Sheetala Ashtami

Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भक्तों के द्वारा माता की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। शीतला माता को ठंडे और बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है, लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है, इसकी जानकारी बहुत कम ही लोगों को है। ऐसे में आज हम आपको अपने लेख में विस्तार से बताएंगे कि, माता शीतला ठंडे और बासी भोजन का भोग क्यों ग्रहण करती हैं। 

इसलिए शीतला मां ग्रहण करती है बासी भोग

एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता शीतला देवलोक से धरती पर आयी थीं। माता के साथ भगवान शिव के ललाट के पसीने से बना ज्वरासुर भी था। माता शीतला, ज्वरासुर के साथ राजा विराट के राज्य में पहुंची और उनसे राज्य में रहने की अनुमति मांगी। राजा विराट ने माता की बात को अस्वीकार कर दिया और उन्हें राज्य से दूर चले जाने को कहा। राजा के क्रूर व्यवहार से माता बहुत क्रोधित हुई और उनके प्रकोप से विराट की प्रजा में गंभीर बीमारियां जैसे- बुखार, हैजा, त्वचा रोग आदि फैलने लगे।

प्रजा की बुरी हालत को देखे राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ। इसके बाद राजा अपनी भूल की माफी मांगने के लिए माता के पास पहुंचे। माता शीतला के क्रोध को शांत करने के लिए राजा ने ठंडे भोज्य पदार्थ जैसे- कच्चा दूध , दही, लस्सी आदि अर्पित किये इसके साथ ही उन्हें बासी भोजन का भोग भी लगाया। इसके बाद माता का क्रोध शांत हुआ। इसीलिए माता को ठंडे और बासी भोज्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है। 

माता को बासी भोजन का भोग लगाने के पीछे एक मान्यता ये भी है कि, शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा जलाने की मनाही होती है। इसिलए माता के लिए भोग एक दिन पहले ही यानि सप्तमी तिथि को ही बनाकर तैयार कर दिया जाता है। इसी भोग को अष्टमी के दिन पूजा के दौरान माता को अर्पित किया जाता है।

घर में चूल्हा जलाने के साथ ही शीतला अष्टमी के दिन नए वस्त्र धारण करने से भी आपको बचना चाहिए साथ ही काले रंग के कपड़े भी नहीं पहनने चाहिए। 

शीतला माता की पूजा से लाभ 

ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धापूर्वक माता शीतला की पूजा करता है उसके दुख-दर्द और रोग दूर हो जाते हैं। माता के आशीर्वाद से आपको मानसिक और शारीरिक शीतलता प्राप्त होती है। साथ ही माता शीतला की कृपा से संतान को भी सुख-समृद्धि प्राप्त होती हो, क्योंकि बच्चों पर माता की विशेष कृपा बरसती है। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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