Saturday, November 08, 2025
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करवा क्यों होता है करवा माता की पूजा में सबसे अहम, जानिए मिट्टी के इस बर्तन का धार्मिक महत्व और पूजा के बाद इसका क्या करें?

करवा चौथ के व्रत में मिट्टी का करवा बेहद जरूरी माना गया है। यह न सिर्फ पूजा का हिस्सा है, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते में स्थिरता और पवित्रता का प्रतीक भी है। जानते हैं कि आखिर क्यों इस दिन मिट्टी का करवा इस्तेमाल करना शुभ होता है और पूजा के बाद इसका क्या किया जाता है।

Written By: Arti Azad @Azadkeekalamse
Published : Oct 09, 2025 07:09 pm IST, Updated : Oct 09, 2025 07:09 pm IST
karwa chauth vrat 2025- India TV Hindi
Image Source : FACEBOOK करवा चौथ में मिट्टी का करवा क्यों है जरूरी

Karwa Chauth Puja mein Mitti Ka Karwa Importance: करवा चौथ का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन वे पूरे विधि-विधान से निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। करवाचौथ के व्रत में मिट्टी का करवा बेहद जरूरी माना गया है। करवा माता की इस पूजा में मिट्टी के करवे का विशेष स्थान होता है।

मिट्टी का यह बर्तन न सिर्फ परंपरा का प्रतीक है, बल्कि पंचतत्वों का भी प्रतिनिधित्व करता है। चलिए जानते हैं कि क्यों करवा चौथ व्रत की पूजा में मिट्टी के करवे का उपयोग करना शुभ होता है और पूजा के बाद इसका क्या किया जाता है।

करवा चौथ पर मिट्टी के करवे का महत्व

करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन महिलाएं सोलह शृंगार करके भगवान शिव, मां पार्वती और गणेशजी की पूजा करती हैं। बिना मिट्टी के करवे के पूजा अधूरी मानी जाती है। मान्यता है कि जब चांद के दर्शन के बाद पति अपनी पत्नी को करवे से जल पिलाते हैं, तो यह उनके रिश्ते को पवित्रता और स्थायित्व का आशीर्वाद देता है।

मिट्टी के करवे में होते हैं पंचतत्व

मिट्टी का करवा पांच तत्वों जैसे जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी का प्रतीक माना जाता है। इसे बनाने में मिट्टी और जल का उपयोग होता है, धूप और हवा में सुखाने से वायु और आकाश तत्व जुड़ते हैं। जबकि, भट्ठी में तपाने से अग्नि तत्व शामिल होता है। यही पांच तत्व जीवन के आधार माने जाते हैं, जो दांपत्य जीवन में संतुलन लाते हैं।

करवा चौथ की पूजा में मिट्टी का करवा क्यों जरूरी?

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, मिट्टी का करवा पति-पत्नी के रिश्ते का प्रतीक कहलाता है, जो कोमल, लचीला और संभालने योग्य होता है। शादी के मंडप में भी मिट्टी के घड़ों का उपयोग किया जाता है। माना जाता है कि मिट्टी जैसी स्थिरता और लचीलापन ही पति और पत्नी के रिश्ते को और ज्यादा मजबूत बनाते हैं। मिट्टी को हमेशा ही शुद्ध और पवित्र माना गया है। यहीं वजह है कि करवा चौथ पर मिट्टी का करवे का उपयोग करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। वहीं, आयुर्वेद के अनुसार, मिट्टी के बर्तन में पानी पीना बहुत लाभकारी होता है।

पूजा के बाद मिट्टी के करवे का क्या करें

करवा चौथ की पूजा समाप्त होने के बाद मिट्टी के करवे को घर में किसी साफ-सुथरे स्थान पर संभालकर रख देना चाहिए। अगले साल व्रत से पहले इसे किसी बहते हुए जल में प्रवाहित कर देना शुभ माना जाता है। शास्त्रों में हर साल नया मिट्टी का करवा पूजा में प्रयोग करने का विधान है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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