Friday, April 26, 2024
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Saphala Ekadashi 2022: इस दिन है साल की आख़िरी एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मान्यता

जो लोग सफला एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें सफलता, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

Poonam Yadav Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published on: December 16, 2022 20:18 IST
Saphala Ekadashi 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Saphala Ekadashi 2022

एकादशी का व्रत पूरे भारत में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ भक्तों द्वारा मनाई जाती है इस महीने सफला एकादशी पौष मास के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को है। यानी इस साल की आखिरी एकादशी 19 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी। सफला एकादशी भगवान श्री विष्णु को समर्पित है। बता दें गृहस्थ को केवल शुक्ल पक्ष की एकादशी में व्रत करना चाहिए। जबकि जो ग्रहस्थ नहीं है, उनके लिये कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की एकादशी नित्य है। गृहस्थ को केवल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की शयनी और कार्तिक शुक्ल पक्ष की बोधनी एकादशी के मध्य पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशीकर सकते हैं। 

सफला एकदशी मुहूर्त

एकादशी तिथि  दिसंबर 19 को सुबह 03:32 मिनट पर शुरू होगा। 20 दिसंबर की सुबह 02:32 को खत्म होगा। वहीँ इसके पारण का समय 20 दिसंबर को 08:05 AM से 09:13 AM तक है।

पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नानकरें और साफ़ सुथरे कपड़े पहनें। भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने देसी घी का एक दीया जलाएं और साथ ही फूल, माला और मिठाई चढ़ाएं। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पत्र के साथ पंचामृत भी चढ़ाएं। बिना तुलसी पत्र चढ़ाए भगवान विष्णु की  पूजा अधूरी मानी जाती है। शाम को भी सूर्यास्त से ठीक पहले पूजा कर लें और भगवान विष्णु को भोग प्रसाद चढ़ाएं।  शाम को आरती करने के बाद भोग प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों में बांटना चाहिए।

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इस एकादशी व्रत की मान्यता 

सफला का अर्थ है समृद्ध। माना जाता है कि जो लोग सफला एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें सफलता, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह एकादशी सबका कल्याण करने वाली है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन मनचाही इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही इस दिन जो भी काम शुरू किया जाये, वह अवश्य सफल होता है। यह व्रत रखने से मन की शुद्धि होने के साथ नये तथा अच्छे विचारों का समावेश होता है। भगवान कृष्ण के मंदिरों में इस दिन विशाल कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं क्योंकि वे भगवान विष्णु के अवतार हैं। इस खास दिन लोग अन्नदान और दान-पुण्य करते हैं।

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