Thursday, April 25, 2024
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Nag Panchami 2022 : आज है नाग पंचमी, राशियों के अनुसार करें नाग देवता की पूजा, खुलेगा किस्मत का दरवाजा

Mangalwar ke Upay: आज नाग पंचमी है। अपने जीवन में सफल होने एक लिए, अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए आपको आज के दिन कौन से उपाय करने चाहिए जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से।

Poonam Shukla Written By: Poonam Shukla
Published on: August 02, 2022 6:00 IST
INDIATV- India TV Hindi
Nag Panchami 2022

mangalwar upay: नाग पंचमी प्रत्येक साल सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा का विधान है। माना जाता है कि इस दिन नाग देवती की पूजा करने से भगवान शिव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि और मंगलवार का दिन है। पंचमी तिथि आज का पूरा दिन पार कर के कल सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। आज रात 6 बजकर 38 मिनट तक शिव योग रहेगा। इस योग में किय गए सभी कार्यों में, विशेषकर कि मंत्र प्रयोग में सफलता मिलती है। साथ ही आज शाम 5 बजकर 29 मिनट तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा। आकाशमंडल में कुल 27 नक्षत्र स्थित होते हैं| उन्हीं नक्षत्रों में से एक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र है। गिनती के आधार पर ये बारहवां नक्षत्र है। 

इस नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह विश्राम के लिए प्रयोग की जाने वाली चारपाई अथवा बेड के पिछले दो पायों को माना जाता है। साथ ही इस नक्षत्र का पहला चरण सिंह राशि में आता है, जबकि इसके बाकी तीन चरण कन्या राशि में आते हैं। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी सूर्यदेव हैं। इसके अलावा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का सम्बन्ध पाकड़ के पेड़ से बताया गया है। कहीं-कहीं पर स्थानीय भाषा में इस पेड़ को पकड़िया के नाम से भी जाना जाता है| जिन लोगों का जन्म उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुआ हो उन लोगों को आज पाकड़ के पेड़ के दर्शन करने चाहिए और उसके सामने दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए। हर वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। नागपंचमी भारतवर्ष और श्रावण के महीने के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा का विधान है। हमारे देवताओं के बीच नागों का हमेशा से अहम स्थान रहा है। उदाहरण के लिए विष्णु जी शेष नाग की शैय्या पर सोते हैं और भगवान शंकर अपने गले में नागों को यज्ञोपवीत के रूप में रखते हैं। भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने अपने को सर्पों में वासुकि और नागों में अनन्त कहा है। नागपंचमी का ये त्योहार सर्प दंश के भय से मुक्ति पाने के लिये और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए मनाया जाता है।

नाग पंचमी मुहू्र्त

  • नाग पंचमी पूजा मुहू्र्त- सुबह बजकर 5 मिनट से 8 बजकर 41 मिनट तक
  • पंचमी तिथि आरंभ- 2 अगस्त सुबह 5 बजकर 13 मिनट से
  • पंचमी तिथि समाप्त- 03 अगस्त को सुबह 5 बजकर 41 मिनट पर 

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दक्षिण भारत में श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी को लकड़ी की चौकी पर लाल चन्दन से सर्प बनाये जाते हैं या मिट्टी के पीले या काले रंगों के सांपों की प्रतिमाएं बनायी या खरीदी जाती हैं और उनकी दूध से पूजा की जाती है। कई घरों में दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है, फिर उस दिवार पर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे एक घर की आकृति बनाई जाती है और उसके अन्दर नागों की आकृति बनाकर उनकी पूजा की जाती है।  साथ ही कुछ लोग घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ हल्दी से, चंदन की स्याही से अथवा गोबर से नाग की आकृति बनाकर उनकी पूजा करते है।

वास्तु के अनुसार कालसर्प दोष से मुक्ति 

  1. ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व दिशा में वासुकि नाग की पूजा करनी चाहिए
  2.  पूर्व में तक्षक की
  3.  दक्षिण-पूर्व में कालिय की
  4.  दक्षिण में मणिभद्र की
  5.  दक्षिण-पश्चिम में ऐरावत की
  6. पश्चिम में धृतराष्ट्र की
  7. उतर-पश्चिम में कर्कोटक की
  8. उत्तर में धनंजय नामक नाग की पूजा करनी चाहिए। 

राशि के अनुसार अलग-अलग नागों की पूजा

  1. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के चौथे खाने में स्थित है। तो आप घर की उत्तर दिशा में नाग पूजन करें । आप सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से धनंजय, तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र और आखिर में कर्कोटक की पूजा करें।
  2. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के तीसरे खाने में स्थित है। तो आप उत्तर-पूर्व दिशा में नाग पूजन करें। आप सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक और आखिर में धनंजय की पूजा करें।
  3. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के दूसरे खाने में स्थित है । तो आप घर की पूर्व दिशा जहां उत्तर दिशा से मिलती है वहां पर नाग पूजा करें । आप सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक और आखिर में धनंजय की पूजा करें। 
  4. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के पहले खाने, यानी लग्न में स्थित है । तो आप घर की पूर्व दिशा में नाग पूजा करें। आप सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक और आखिर में धनंजय की पूजा करें।
  5. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के बारहवें खाने में स्थित है। तो आप घर की पूर्व दिशा जहां पर दक्षिणी दिशा को छूती है। वहां पर नाग पूजा करें । आप सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक, धनंजय और आखिर में तक्षक की पूजा करें।
  6. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के ग्यारहवें खाने में स्थित है। तो आप घर की दक्षिण दिशा जहां पूर्व दिशा को छूती है। वहां पर नाग पूजा करें। सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक, धनंजय और आखिर में तक्षक की पूजा करें ।
  7. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के दसवें खाने में स्थित है । अतः कल के दिन आप घर की दक्षिण दिशा में नागपूजा करें । सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक, धनंजय, तक्षक और आखिर में कालिय की पूजा करें।
  8. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के नवें खाने में स्थित है । तो आप दक्षिण दिशा जहां पश्चिम को छूती है  वहां नाग पूजा करें । सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक, धनंजय, तक्षक, कालिय और आखिर में मणिभद्र का पूजन करें।
  9. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के आठवें खाने में स्थित है। तो आप घर की पश्चिम दीवार जहां दक्षिण दिशा को स्पर्श करती है। वहां पर नाग पूजा करें। सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक, धनंजय, तक्षक, कालिय और आखिर में मणिभद्र का पूजन करें।
  10. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के सातवें खाने में स्थित है। तो आप घर की पश्चिम दिशा में नाग पूजा करें। सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से धृतराष्ट्र, कर्कोटक, धनंजय, तक्षक, कालिय, मणिभद्र और आखिर में ऐरावत का पूजन करें ।
  11. अगर राहु आपकी जन्मपत्रिका के छठे खाने में स्थित है। तो आप घर की पश्चिम दिशा जहां पर उत्तर दिशा को छूती है वहां पर नागपूजा करें । सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से कर्कोटक, धनंजय, तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत और आखिर में धृतराष्ट्र का पूजन करें। 
  12. अगर आपकी जन्मपत्रिका के पांचवें खाने में स्थित है । तो आप घर की उत्तरी दिशा जहां पश्चिम को छूती है  पर नाग पूजन करें । सबसे पहले वासुकि, फिर क्रम से कर्कोटक, धनंजय, तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत और आखिर में धृतराष्ट्र का पूजन करें। 

 

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(डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता। )

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