Thursday, December 12, 2024
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Saphala Ekadashi 2024: आज सफला एकादशी के दिन इस विधि से करें भगवान शालिग्राम की पूजा, अपार धन-वैभव की होगी प्राप्ति

आज पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है और इसे सफला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं आज के दिन भगवान विष्णु की किन विशेष विधियों से पूजा की जाती है और क्या है सफला एकादशी की व्रत कथा जिसे सुनने और उसका पाठ करने से मिलता है पुण्य।

Written By: Aditya Mehrotra
Published : Jan 07, 2024 7:00 IST, Updated : Jan 07, 2024 7:00 IST
Saphla Ekadashi 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Saphla Ekadashi 2024

Saphla Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में प्रत्येक माह को पड़ने वाली एकादशी भगवान विष्णु को अति प्रिय है। इस दिन श्री नारायण के निमित्त जो भक्त व्रत रखते हैं और नियम पूर्वक भगवान की पूजा करते हैं। उनके समस्त दुःख-संताप तो मिटते ही हैं इसी के साथ उनपर श्री हरि सदैव अपनी कृपा बरसाते हैं।

आज 7 जनवरी 2024 को पौष मास की कृष्ण पक्ष की सफलता एकादशी है। इस एकदशी का व्रत करने से जीवन के सारे कार्य सफल होते हैं। आइए जानते हैं सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की किस विधि से आराधना करना शुभ फलदायक होता है। साथ ही जानेंगे सफला एकादशी की व्रत कथा के बारे में।

सफला एकादशी की पूजा विधि

  • आज प्रातः उठने के बाद स्नान आदि से निवृत हो कर सफला ऐकादशी के व्रत का सबसे पहले संकल्प लें।
  • संकल्प लेते समय भगवान विष्णु का ध्यान करें और उसके बाद उनकी प्रतिमा के सम्मुख बैठ कर पूजा प्रारंभ करें।
  • पूजा शुरू करने से पहले जल से आचमन कर लें। आचमन के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें - ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।
  • इसके बाद भगवान नारायण की पूजा शुरू करें। उनकी पूजा में आप इस स्तुति का पाठ कर सकते हैं - ॐ शुक्लांबरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजं प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये। शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्र्वाधारम् गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।।
  • आज के दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का पूजन भी आपके लिए फलदायक होगा। शालिग्राम की पूजा के लिए आप गाये के दूध से शालिग्राम भगवान का अभिषेक करें और उसके बाद जल से। ऐसा करने से जीवन में अपार धन-संपदा का आशीर्वाद मिलता है।
  • इसके बाद शालिग्राम भगवान पर तुलसी की पत्तियां चढ़ाते हुए उनको पीले रंग के चंदन से वैष्णव तिलक लगाएं और धूप-दीप दिखाकर उनकी पूजा करें।
  • इसी के साथ भगवान विष्णु को फल का भोग लगाएं और उसी को आप व्रत में फलाहार के रूप में ग्रहण करें।
  • सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और रात्रि जागरण करने से इस एकादशी का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
  • पूजा के दौरान आप भगवान विष्णु को धूप, नारियल, सुपारी, लौंग और आंवला पूजन सामग्री में भेंट कर सकते हैं।
  • इन पूजा विधि को अपनाने से भगवान विष्णु तो प्रसन्न होते ही हैं उनके साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर अपनी असीम कृपा बरसाती हैं।

 आज सफला एकदशी की कथा अवश्य पढ़ें

पौराणिक कथा के अनुसार राजा महिष्मत के चार पुत्र थे। उनमें से एक बेटे का नाम लुंपक था जो स्वभाव से बड़ा दुष्ट और पापी था। वह अपने पिता के धन को पाप कर्मों में उड़ा देता था। अपने पुत्र से दुःखी होकर महिष्मत ने उसे राज्य से निकाल दिया। फिर भी लुंपक की लूटपाट करने की आदत नहीं छूटी। एक बार लुंपक को तीन दीनों तक भोजन नहीं मिला, तो वह भोजन की तलाश करते हुए एक साधु की कुटिया में जा पहुंचा। उन संत ने उसका अपनी कुटिया में स्वागत किया वह दिन सफलता एकादशी का था और फिर उसे भोजन परोसा।

संत से मिलने के बाद किया प्रायश्चित

साधु के इस प्रेम पूर्वक व्यवहार से उस लुंपक ने सोचा मैं तो मनुष्य हूं पर कितने बुरे कर्म करता हूं। प्रायश्चित होने के बाद वह उन महात्मा के चरणों से लिपट गया और उन्होंने लुंपक को अपना शिष्य बना लिया। कहते हैं बिनु सत्संग विवेक न होई ठीक वैसा ही हुआ संत की शरण में आने के बाद लुंपक का भाव-विचार निर्मल हो गया। उसने उस साधु की आज्ञा से एकादशी का व्रत रखना शुरू कर दिया। जब लुंपक के अंदर पूर्णतः निर्मल गुणों की उत्पत्ति हो गई। तब उन संत ने अपना असली रूप धारण किया और लुंपक ने देखा वह कोई और नहीं बल्कि उसके पिता राजा महिष्मत थे। लुंपक ने अपने पिता से अपनी करनी की क्षमा मांगी और उसने आगे चल कर आर्दश पुत्र बनकर अपने पिता का पूरा राज काज संभाला और आजीवन सफला एकादशी के व्रत रखने का प्रण लिया।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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