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Putrada Ekadashi 2024: संतान प्राप्ति के लिए इस दिन रखा जाएगा पुत्रदा एकादशी का व्रत, जान लीजिए पूजा सहित पारण का सही मुहूर्त

Sawan Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और संतान की कामना के लिए रखा जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान नारायण और मां लक्ष्मी की आराधना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

Written By: Vineeta Mandal
Published on: August 12, 2024 13:34 IST
Putrada Ekadashi 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Putrada Ekadashi 2024

Putrada Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। कहते हैं जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है उसे भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। सालभर में कुल 24 एकादशियां होती है लेकिन अधिकमास या मलमास आता है तो इनकी संख्या बढ़कर छब्बीस हो जाती है। हालांकि इन दोनों ही एकादशियों का समान रूप से महत्व है। वहीं सावन माह में आने वाली एकादशी व्रत का भी खास महत्व होता है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का विधान है।

बता दें कि पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है एक सावन माह के शुक्ल पक्ष में और दूसरा पौष मास के शुक्ल पक्ष में। इन दोनों ही एकादशियों का समान रूप से महत्व है। जो लोग संतान प्राप्ति की इच्छा

रखते हैं या जिनकी पहले से संतान है और उनकी तरक्की चाहते हैं उन लोगों को  पुत्रदा एकादशी का व्रत रखना चाहिए। इस साल सावन मे पुत्रदा एकादशी का व्रत 16 अगस्त 2024 को रखा जाएगा।

पुत्रदा एकादशी 2024 व्रत शुभ मुहूर्त और पारण का समय

  • सावन शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ- 15 अगस्त 2024 को सुबह 10 बजकर 26 मिनट से
  • सावन शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त- 16 अगस्त 2024 को सुबह 9 बजकर 39 मिनट पर 
  • पुत्रदा एकादशी 2024 व्रत तिथि- 16 अगस्त 2024
  • पुत्रदा एकादशी  पारण का समय- 17 अगस्त को सुबह 5 बजकर 51 मिनट से सुबह 8 बजकर 5 मिनट तक
  • द्वादशी तिथि समाप्त- 17 अगस्त 2024 को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर

एकादशी पारण नियम

एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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