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Sawan Pradosh Vrat 2024: इस दिन रखा जाएगा सावन का आखिरी प्रदोष व्रत, यहां जान लीजिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और मंत्र

Sawan Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। तो यहां जानिए कि सावन का आखिरी प्रदोष किस दिन रखा जाएगा।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Aug 10, 2024 10:05 IST, Updated : Aug 10, 2024 10:05 IST
Pradosh Vrat 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Pradosh Vrat 2024

Sawan Pradosh Vrat 2024: सावन माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन महादेव की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत में भी प्रदोष काल का महत्व होता है। प्रदोष काल उस समय को कहा जाता है, जब दिन छिपने लगता है यानी सूर्यास्त के ठीक बाद वाले समय और रात्रि के प्रथम प्रहर को प्रदोष काल कहा जाता है। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल के समय भगवान शंकर की पूजा का विधान है। त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है, उसे जीवन में सुख ही सुख मिलता है। अतः आज के दिन शिव प्रतिमा के दर्शन अवश्य ही करने चाहिए। 

बता दें कि प्रत्येक महीने में दो पक्ष होते हैं- एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। इन दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत जिस दिन पड़ता है उसी के अनुसार इसका नामकरण होता है। सावन का आखिरी प्रदोष व्रत शनिवार के दिन रखा जाएगा, इसलिए इस प्रदोष को शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। शनि प्रदोष के दिन भगवान शंकर के साथ ही शनि देव की पूजा का बड़ा ही महत्व है। तो आइए जानते हैं कि सावन का आखिरी प्रदोष व्रत किस तिथि को रखा जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

प्रदोष व्रत 2024 पूजा मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 17 अगस्त की सुबह 8 बजकर 5 मिनट से होगी। इसका समापन 18 अगस्त सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर होगा। शनि प्रदोष व्रत 17 अगस्त 2024 को रखा जाएगा। प्रदोष व्रत के लिए पूजा का शुभ समय शाम बजकर 58 मिनट से रात 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।

भगवान शिव के मंत्र

  • नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥

  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

  • ओम नमः शिवाय॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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