Friday, May 10, 2024
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Tulsi Vivah 2022: इस विधि और मंत्र के साथ करें तुलसी पूजा, दांपत्य जीवन में बनी रहेगी मिठास

Tulsi Vivah 2022: तुलसी विवाह के दिन पूजा के लिए गन्ना और सुहाग की सामग्री की जरूरत होती है। साथ ही इस दिन काला कपड़ा नहीं पहनना चाहिए। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, तुलसी विवाह पूजा करने से पति पत्नी के बीच के सारे मनमुटाव दूर हो जाते हैं।

Vineeta Mandal Written By: Vineeta Mandal
Updated on: November 03, 2022 10:20 IST
Tulsi vivah 2022- India TV Hindi
Image Source : FILE Tulsi vivah 2022

Tulsi Viva 2022: इस साल 5 नवंबर को तुलसी जी का विवाह कराया जाएगा। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष यानी देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। लेकिन इस बार द्वादशी के दिन तुलसी विवाह संपन्न होगा। दरअसल, कुछ लोग कार्तिक द्वादशी के दिन भी तुलसी शालिग्राम का विवाह करते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी  4 नवंबर और कार्तिक द्वादशी 5 नवंबर को पड़ रहा है। तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी, भगवान शालिग्राम का दूल्हा और दुल्हन की तरह श्रृंगार किया जाता है। 

तुलसी विवाह पूजा विधि

  1. तुलसी पूजा के दिन प्रात:काल स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। संभव हो तो इस दिन काला रंग न पहनें।
  2. तुलसी विवाह के दिन व्रत भी रखा जाता है। तो पूजा से पहले व्रत का संकल्प लें।
  3. अब पूजा के लिए तुलसी के पौधे को आंगन, मंदिर या छत पर रखें और वहीं पर विवाह संपन्न कराएं।
  4. तुलसी के गमले में एक गन्ना लगाएं और फिर उस पर लाल चुनरी अच्छे से लगाएं।
  5. तुलसी के गमले में शालिग्राम पत्थर को रखना बिल्कुल भी न भूलें। 
  6. माता तुलसी और भगवान शालिग्राम को दूध में भिगी हल्दी लगाएं। गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप जरूर लगाएं।
  7. पूजा में आंवला, सेब, केला और अन्य मौसमी फल के साथ मिठाई चढ़ाएं।
  8.  तुलसी पौधे की पत्तियों में सिंदूर लगाएं और चुनरी समेत श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
  9. हाथ में शालीग्राम रखकर तुलसी जी की परिक्रमा करें।
  10. तुलसी और शालीग्राम जी की आरती करें। आरती करने के बाद तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें।
  11. भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें और फिर पूजा पूरी होने का बाद प्रसाद बांटे।
  12.  शालिग्राम पर तिल चढ़ाए क्योंकि शालिग्राम में चावल नही चढ़ाए जाते हैं। 

इन मंत्रों के साथ करें तुलसी पूजा

1. 'महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते'

2. उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः
शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

 

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