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कैसे शुरू हुई थी भंडारा करवाने की प्रथा? जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में भंडारा करवाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। लेकिन ये प्रथा शुरू कैसे हुई और इससे जुड़ी पौराणिक कथा क्या है, हमारे लेख में जानें विस्तार से।

Written By: Naveen Khantwal
Published : May 30, 2024 18:39 IST, Updated : May 30, 2024 18:39 IST
Bhandara- India TV Hindi
Image Source : FILE Bhandara

हिंदू धर्म में भंडारा करवाने की प्रथा लंबे समय से चली आ रही है। भंडारा एक तरह का दान ही है जिसके जरिये हम जरूरतमंद लोगों को भोजन प्रदान करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर भंडारा करवाने की ये प्रथा शुरू कैसे हुई थी और इसके पीछे का धार्मिक महत्व क्या है? अगर आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है, तो आज हम आपको विस्तार से इसी बारे में अपने लेख में बताएंगे। 

भंडारा करवाने का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में अन्न दान को श्रेष्ठ दान माना जाता है। इसलिए भंडारे में भोजन बनाकर लोगों को बांटा जाता है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो भंडारा करवाकर न केवल हम दूसरों को अन्न प्रदान करते हैं, बल्कि इससे हमें भी आत्मिक संतुष्टि मिलती है। अन्न का दान करने से हमारे पितृ भी प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को भी संतुष्टि प्राप्त होती है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, हम जिन चीजों का दान करते हैं और जितनी मात्रा में दान करते हैं, उतना ही हमें परलोक में प्राप्त होता है। इसलिए हिंदू धर्म में ज्यादा से ज्यादा मात्र में अन्न का दान करने को कहा जाता है। भंडारा करवाने के पीछे भी यही वजह है कि, मृत्युलोक में किया गया अन्न दान हमारे पूर्वजों और हमारी आत्म को संतुष्टि दे। 

पौराणिक कथा- ऐसे शुरू हुई भंडारा करवाने की प्रथा
पद्म पुराण में वर्णित है कि, राजा स्वेत मृत्यु के बाद जब परलोक पहुंचे तो उन्हें भोजन प्राप्त नहीं हो पाया था। राजा स्वेत विदर्भ क्षेत्र के राजा थे और उनके राज्य में अन्न-धन की कोई कमी नहीं थी। हालांकि परलोक में उन्हें मांगने पर भी भोजन प्राप्त नहीं हुआ। अंत में थक हारकर राजा ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उनसे इसके पीछे का कारण पूछा। तब ब्रह्मा जी बोले कि, आप भले ही राजा रहे हों लेकिन आपने कभी जरूरतमंद लोगों को भोजन नहीं करवाया। अन्न का कभी दान नहीं किया, इसलिए आपको मृत्यु के बाद अन्न प्राप्त नहीं हो पा रहा है। राजा को अपनी भूल का पता चला तो उन्होंने अपनी भावी पीढ़ियों के स्वप्न में जाकर भंडारा और अन्नदान करने को कहा। और अन्नदान के महत्व को समझाया। माना जाता है कि, तब से ही भंडारा करने की प्रथा का आरंभ हुआ। 

क्यों करवाना चाहिए भंडारा?

माना जाता है कि जब भी आपके घर में कोई धार्मिक अनुष्ठान होता है, उसके बाद भंडारा करवाया जाना चाहिए। धार्मिक और मांगलिक अनुष्ठान के बाद भंडारा करवाने से, किया गया कार्य सफल हो जाता है। साथ ही अन्नदान का पुण्य भी आपको प्राप्त होता है। भंडारा करवाने से और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाने से, आपको ईश्वर का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है और साथ ही 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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