Thursday, April 25, 2024
Advertisement

महेंद्र सिंह धोनी के ये तीन बड़े फैसले, जिससे बदल गया भारतीय क्रिकेट

धोनी को दोबारा क्रिकेट के मैदान में खेलते कब देखेंगे इस पर भी संशय जारी है। मगर उनके क्रिकेटिया दिमाग और दूरदर्शी सोच ने भारतीय क्रिकेट को बदल कर रख दिया है। 

India TV Sports Desk Written by: India TV Sports Desk
Published on: March 29, 2020 16:19 IST
MS Dhoni- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/CHENNAIIPL MS Dhoni

29 मार्च यानी आज के दिन से इंडियन प्रीमीयर लीग ( आईपीएल ) के 13वें सीजन की शुरुआत होनी थी और सभी भारतीय फैंस टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को देखने के लिए व्याकुल थे। मगर पूरी दुनिया में फैली कोरना वायरस की माहामारी के कारण ऐसा कुछ भी संभव ना हो सका।

कोरना वायरस के चलते सभी खेल गतिविधियों को आगे के लिए टाल दिया गया है। इतना ही नहीं ओलंपिक जैसे खेलों को भी एक साल आगे बढ़ा दिया गया है। इस तरह आईपीएल के इतिहास में भी ऐसा पहली बार हुआ है जब उन्हें स्थगित करके आगे बढ़ाया गया हो, हलांकि आईपीएल होगा या नहीं इस पर भी काले बादल मंडरा रहे हैं। जिसके चलते हम धोनी को दोबारा क्रिकेट के मैदान में खेलते कब देखेंगे इस पर भी संशय जारी है। मगर उनके क्रिकेटिया दिमाग और दूरदर्शी सोच ने भारतीय क्रिकेट को बदल कर रख दिया है। जिसे कप्तान विराट कोहली आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे में आपको बताते हैं धोनी के जीवन के तीन सबसे बड़े फैसलें जिन्होने बदल दी भारतीय क्रिकेट की तस्वीर:-

टी20 विश्वकप 2007

पाकिस्तान के खिलाफ आईसीसी के पहले टी20 विश्वकप में टीम इंडिया को अंतिम ओवर में 13 रन बचाने थे। ऐसे में धोनी ने हरभजन सिंह का एक ओवर शेष रहते हुए भी जोगिंदर शर्मा पर दांव खेला। धोनी के इस फैसले से सभी नाराज थे मगर जोगिंदर करोड़ो भारतीय फैंस सहित कप्तान धोनी के भरोसे पर खरें उतरें और उन्होंने मिस्बाह को अपनी गेंदबाजी में फंसाकर धोनी को उनकी कप्तानी का पहला टी20 विश्वकप जीता दिया। जिसके बाद से धोनी नाम पुरे हिंदुस्तान में छा गया और ये निर्णय धोनी के क्रिकेट करियर में ‘सोलह आने खरा’ साबित हुआ।

सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ को वनडे टीम से बाहर करना

साल 2004 में सौरव गांगुली की कप्तानी में पदार्पण करने वाले धोनी जब खुद टीम टीम इंडिया के कप्तान 2008 में बने तो उन्होंने सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को टीम से बाहर करना ठीक समझा। साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ट्राई सीरीज के लिए इन दोनों खिलाड़ियों को निकाल दिया गया। इसका कारण जब उस समय के बीसीसीआई सचिव निरंजन शाह से पूछा गया तो उन्होंने इन खिलाड़ियों की कमज़ोर फील्डिंग बताई। यहाँ से शुरू हुआ टीम इंडिया में बल्लेबाजी और गेंदबाजी के बाद फील्डिंग में आगे बढ़ने का सिलसिला। जिसके चलते टीम इंडिया भविष्य में चलकर दुनिया की बेहतरीन फील्डिंग टीम के रूप में भी जानी जाने लगी। वहीं कप्तान विराट कोहली भी अपनी फिटननेस मुहीम से टीम इंडिया की फील्डिंग का स्तर और बढाने में जुटे हुए हैं।   

रोटेशन प्रणाली

भारत में क्रिकेट को एक धर्म तो उसे खेलने वाले क्रिकेटर को भगवान की तरह माना जाता है। यही कारण है की सचिन तेंदुलकर को लोग भगवान के रूप में पूजते हैं। धोनी के दिमाग में हमेशा से टीम इंडिया की फील्डिंग का स्तर एक सर्वोपरि विभाग रहा जिसमें वो पूर्ण रूप से सुधार चाहते थे। ऐसे में फैंस का दिल रखने और मैदान में जबर्दस्त फील्डिंग के लिए धोनी ने सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर के बीच रोटेशन प्रणाली का इस्तेमाल सबसे पहले साल 2012 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीबी सीरीज में किया।

हलांकि धोनी के ये प्रयोग ज्यादा सफल नहीं हुआ और धोनी टॉप आर्डर में बदलाव करते रहे जिसके चलते टीम इंडिया सीबी सीरीज के फ़ाइनल में क्वालीफाई नहीं कर पाई। इतना ही नहीं टीम इंडिया के टॉप आर्डर में लगातार बदलाव होने के कारण ये एक कमजोरी बनकर भी सामने आया। इस फैसले के कारण धोनी को काफी आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ा। इसे भी धोनी के जीवन में बड़े फैसलों के रूप में देखा जाता है।

Latest Cricket News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Cricket News in Hindi के लिए क्लिक करें खेल सेक्‍शन

Advertisement

लाइव स्कोरकार्ड

Advertisement
Advertisement