22 जनवरी को रावण की जन्मस्थली पर भी जश्न मनाया गया। जिस समय अयोध्या में भगवान राम विराजमान हुए ठीक उसी समय बिसरख के मंदिर में भी राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा कर विराजमान किया गया।
विजयादशमी (Vijayadashami 2022) का त्यौहार देश में धूमधाम से मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा हिंदू धर्म का खास पर्व है, जिसमें रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन होता है। लेकिन भारत में कुछ ऐसे शहर भी हैं जहां रावण की पूजा होती है।
रावण को बेटा मानते हुए गांव के लोग यहां कभी रामलीला का मंचन नहीं करते, यहां दशहरे में कभी रावण दहन नहीं हुआ। लेकिन इस बार गांव में रावण की पूजा की पुरानी परंपरा के साथ ही श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की खुशियां भी बनायी जा रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार दोपहर को जब अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे, तो राक्षसराज रावण का मंदिर भी 'जय श्री राम' के जयकारों से गूंज उठेगा।
महंत ने बताया कि लोकोक्तियों के मुताबिक बिसरख रावण का जन्म स्थान है, लिहाजा हम इसे रावण जन्म भूमि भी कहते हैं। उन्होंने रावण को परम ज्ञानी व्यक्ति बताते हुए कहा कि सीता का हरण करने के बाद रावण ने उन्हें अपने महल में ले जाने के बजाय अशोक वाटिका में रखा।
मंदसौर जिले को रावण का ससुराल माना जाता है, यानी उसकी पत्नी मंदोदरी का मायका। पूर्व में इस जिले को दशपुर के नाम से पहचाना जाता था। यहां के खानपुरा क्षेत्र में रुण्डी नामक स्थान पर रावण की प्रतिमा स्थापित है, जिसके 10 सिर हैं।
ग्रेटर नोएडा से लगे बिसरख गांव में किसी से रावण के मंदिर के बारे में पूछिये तो आपको संभवत: रूखा जवाब मिले। वह रावण बाबा हैं।
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