Thursday, April 25, 2024
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WHO की मंजूरी: कोरोना से लड़ाई में चीनी वैक्सीन निभाएगी अहम भूमिका

स्वास्थ्य विशेषज्ञ वायरस के खात्मे के लिए जल्द से जल्द टीकाकरण करने पर जोर दे रहे हैं। अब इस दिशा में चीन की भूमिका और अहम होने जा रही है। क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने साइनोफार्म वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की इजाजत दे दी है।

IANS Reported by: IANS
Published on: May 09, 2021 7:13 IST
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Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE WHO की मंजूरी: कोरोना से लड़ाई में चीनी वैक्सीन निभाएगी अहम भूमिका

बीजिंग: विश्व के कई देश कोरोना महामारी की चपेट में हैं और हर रोज संक्रमितों और मृतकों की संख्या की बढ़ रही है। एक साल से अधिक वक्त होने के बाद भी महामारी को काबू में नहीं किया जा सका है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ वायरस के खात्मे के लिए जल्द से जल्द टीकाकरण करने पर जोर दे रहे हैं। अब इस दिशा में चीन की भूमिका और अहम होने जा रही है। क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साइनोफार्म वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। इस तरह साइनोफार्म विश्व की प्रमुख स्वास्थ्य एजेंसी से वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल की मंजूरी पाने वाली पहली गैर पश्चिमी वैक्सीन बन गयी है। अब तक कोरोना के खिलाफ संघर्ष में सिर्फ फाइजर, एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन व मोडेर्ना को ही डब्ल्यूएचओ से इजाजत मिली थी। आने वाले दिनों में दूसरी चीनी वैक्सीन साइनोवैक को भी अनुमति मिलने की संभावना है।

साइनोफार्म को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी से जाहिर होता है कि चीन द्वारा विकसित वैक्सीन सुरक्षित व प्रभावी है। ध्यान रहे कि ऐस्ट्राजेनेका आदि टीके लगाए जाने के बाद लोगों में कुछ साइड इफेक्ट्स देखे जा रहे हैं। जबकि चीनी टीके अब तक चीन के साथ-साथ दुनिया के कई देशों के नागरिकों को लगाये जा चुके हैं। जिससे इनकी प्रभावशीलता स्पष्ट हो चुकी है। साथ ही कोई गंभीर नकारात्मक प्रभाव भी सामने नहीं आया है। इस तरह चीन द्वारा विकसित वैक्सीन जरूरतमंद देशों के लिए पूरी तरह से उपलब्ध हो चुकी है। हालांकि कुछ पश्चिमी राष्ट्रों ने चीन की वैक्सीन पर सवाल उठाए, जो कि अब खारिज हो चुके हैं।

बता दें कि चीन डब्ल्यूएचओ की कोवाक्स योजना में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है। इस योजना का मकसद गरीब व छोटे देशों को वैक्सीन सुलभ कराना है। चीन जैसे देश का साथ मिलने से विभिन्न देशों को वायरस के खिलाफ संघर्ष में बहुत मदद मिल सकती है, जो वैक्सीन तैयार करने में सक्षम नहीं हैं। खासतौर पर अफ्रीका, दक्षिण एशिया व विश्व के अन्य हिस्सों में चीनी वैक्सीन काम आ सकती है। हालांकि कोवाक्स योजना के लिए बड़ी मात्रा में टीके देने का वादा भारत ने भी किया था। लेकिन अब वह महामारी के नई लहर से जूझ रहा है, ऐसे में वैक्सीन की कमी महसूस की जा रही है। लेकिन चीन ने अपने यहां महामारी को नियंत्रण में करने के बाद अन्य देशों को सहायता देनी जारी रखी है। चीन ने पहले ही वचन दिया था कि वह वैक्सीन को सभी के लिए सुलभ उत्पाद बनाना चाहता है। साइनोफार्म व साइनोवैक जैसे टीके तैयार करने के बाद चीन ने न केवल चीनी लोगों को टीके लगाए, बल्कि अन्य देशों के लोगों का भी खयाल रखा। हालांकि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया व कनाडा जैसे विकसित देश इस संकट के वक्त में वैक्सीन की जमाखोरी में लगे हैं।

वहीं आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक दुनिया भर में करीब 16 करोड़ लोग वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 32 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी हैं। ऐसे में वायरस के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन को प्रमुख हथियार माना जा रहा है

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