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ट्रंप प्रशासन ने चाबहार को लेकर चली नई चाल! प्रतिबंधों पर छूट को वापस लिया, जानिए भारत के लिए क्यों अहम है ये पोर्ट

चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में ओमान की खाड़ी पर स्थित है। भारत और ईरान इसे व्यापार एवं संपर्क बढ़ाने के लिए विकसित कर रहे हैं।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Sep 18, 2025 10:58 pm IST, Updated : Sep 18, 2025 11:01 pm IST
port- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK सांकेतिक तस्वीर

न्यूयॉर्क/ नयी दिल्ली:  डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने ईरान के चाबहार पोर्ट से प्रतिबंधों पर छूट को वापस लेने की घोषणा की है। ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि ईरान के चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाले व्यक्तियों पर इस महीने के अंत से अमेरिकी प्रतिबंध लागू होंगे। इस फैसले का असर भारत पर भी पड़ेगा जो इस रणनीतिक बंदरगाह के विकास में शामिल है। 

 29 सितंबर से प्रभावी होंगे प्रतिबंध

चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में ओमान की खाड़ी पर स्थित है। भारत और ईरान इसे व्यापार एवं संपर्क बढ़ाने के लिए विकसित कर रहे हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख उप प्रवक्ता थॉमस पिगॉट ने कहा कि विदेश मंत्री ने 2018 में अफगानिस्तान पुनर्निर्माण और आर्थिक विकास के लिए दी गई प्रतिबंध छूट को वापस ले लिया है। यह प्रतिबंध 29 सितंबर से प्रभावी होंगे। इसके बाद चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाले या संबंधित गतिविधियों में शामिल लोग प्रतिबंधों के दायरे में आ सकते हैं। 

ईरान के साथ 10 साल का करार

अमेरिकी प्रशासन के इस निर्णय से भारत भी प्रभावित होगा क्योंकि वह ओमान की खाड़ी में स्थित चाबहार बंदरगाह पर एक टर्मिनल के विकास से जुड़ा हुआ है। भारत ने 13 मई, 2024 को इस बंदरगाह के संचालन के लिए 10 वर्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। भारत को इससे मध्य एशिया के साथ व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारत ने वर्ष 2003 में ही इस बंदरगाह के विकास का प्रस्ताव रखा था ताकि भारतीय माल के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच का एक प्रवेश द्वार मुहैया कराया जा सके। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) नामक एक सड़क और रेल परियोजना बनाई जानी है। 

अमेरिका ने कब प्रतिबंधों में छूट दी थी?

करीब 7,200 किलोमीटर लंबी यह परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए प्रस्तावित है। हालांकि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण चाबहार बंदरगाह के विकास की रफ्तार काफी धीमी रही। अमेरिका ने 2018 में चाबहार बंदरगाह परियोजना को प्रतिबंधों से छूट दी थी। उस समय कहा गया था कि अफगानिस्तान को गैर-प्रतिबंधित वस्तुओं की आपूर्ति और पेट्रोलियम उत्पादों के आयात के लिए यह छूट जरूरी है। हालांकि अब अमेरिकी प्रशासन की नई नीति के तहत यह छूट समाप्त हो जाएगी। भारत ने 2023 में चाबहार बंदरगाह का उपयोग अफगानिस्तान को 20,000 टन गेहूं की सहायता भेजने के लिए किया था। इसके पहले 2021 में इसके जरिये ईरान को पर्यावरण के अनुकूल कीटनाशकों की आपूर्ति भी की गई थी। ( इनपुट-भाषा)

 

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