
ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग का अंत होता नजर नहीं आ रहा है। इजरायल लगातार ईरान के न्यूक्लियर साइट, सैन्य ठिकानों और हथियार भंडार आदि पर हमला कर रहा है तो वहीं, ईरान भी उतनी ही तेजी से इजरायल के कई बड़े शहरों और प्रमुख ठिकानों पर लगातार मिसाइलें दाग रहा है। अब ईरान ने इजरायल के खिलाफ एक और बड़ा कदम उठाया है। ईरान ने इजरायल के वैज्ञानिक रिसर्च संस्थान ‘वीजमैन विज्ञान संस्थान’ पर मिसाइल दाग दी है।
क्यों बड़ा माना जा रहा है ये हमला?
इजरायल की ओर से लंबे समय से ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों और वैज्ञानिकों के ठिकाने को निशाना बनाया जाता रहा है। हालांकि, शायद ये पहला मौका है जब ईरान के हमले में इजरायल के वैज्ञानिक निशाने पर आए हैं। वीजमैन विज्ञान संस्थान को जीवन विज्ञान और फिजिक्स समेत साइंस के विभिन्न क्षेत्रों में अपने काम के लिए जाना जाता है। संस्थान पर हुए हमले में किसी की मौत नहीं हुई है लेकिन परिसर में कई लैब को भारी नुकसान हुआ है। इस कारण कई साल से जारी रिसर्च के कार्य प्रभावित हुए हैं। संस्थान के मुताबिक, ईरान के हमले में दो इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं है।
'ये ईरान की नैतिक जीत'- संस्थान के प्रोफेसर
वीजमैन विज्ञान संस्थान पर ईरान के हमले में Molecular Cell Biology और Molecular Neuroscience विभाग के प्रोफेसर ओरेन शुल्डिनर की लैब भी तबाह हो गई है। इस घटना को प्रोफेसर शुल्डिनर ने ईरान की नैतिक जीत बताया है। प्रोफेसर ने कहा- "वे इजरायल में विज्ञान के क्षेत्र के प्रमुख संस्थान को नुकसान पहुंचाने में कामयाब रहे।’’
क्यों प्रसिद्ध है वीजमैन संस्थान?
आपको बता दें कि इजरायल के वीजमैन विज्ञान संस्थान की स्थापना साल 1934 में की गई थी। संस्थान का नाम बाद में बदलकर इजरायल के पहले राष्ट्रपति चैम एज़्रिएल वीजमैन के नाम पर रखा गया था। वीजमैन संस्थान दुनिया के सबसे प्रमुख विज्ञान संस्थानों में से एक है और हर साल यहां से सैकड़ों रिसर्च पेपर पब्लिश होते हैं। ये संस्थान इसलिए भी खास है क्योंकि साल 1954 में इजरायल में पहला कंप्यूटर इसी ने बनाया था। रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार और तीन ट्यूरिंग पुरस्कार वीजमैन संस्थान से जुड़े वैज्ञानिकों को मिल चुके हैं। (इनपुट: भाषा)
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