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पाकिस्तान पहुंचते ही बदल गए भारत के दोस्त रहे ईरान के सुर, "कश्मीर मुद्दे" पर दिया ये बयान

इजरायल से जंग छिड़ने के बाद ईरान ने अपने दुश्मन रहे पाकिस्तान को दोस्त बना लिया है। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने 3 दिनों के पाकिस्तान दौरे के बाद दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते किए हैं। माना जा रहा है कि ईरान ने इजरायल से मुकाबले के लिए पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाई है। जबकि दोनों देश अब तक दुश्मन थे।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Apr 24, 2024 22:18 IST, Updated : Apr 24, 2024 23:21 IST
पाकिस्तान पहुंचे ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी- India TV Hindi
Image Source : AP पाकिस्तान पहुंचे ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी

इस्लामाबाद: पाकिस्तान पहुंचते ही ईरान के सुर और ताल दोनों बदल गए हैं। इजरायल से मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान के साथ लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी को भुलाने के साथ ही ईरान ने भारत की दोस्ती को भी एक तरीके से ठुकरा दिया है। तभी तो पाकिस्तान पहुंचे ईरान के राष्ट्रपति ने कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त बयान जारी किया है। बता दें कि पाकिस्तान और ईरान ने संयुक्त बयान देकर कहा है कि दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि कश्मीर मुद्दे का क्षेत्र के लोगों की इच्छा के आधार पर शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी इजरायल से युद्ध छिड़ने के बाद 3 दिनों की पहली पाकिस्तान यात्रा पर थे। दोनों देशों द्वारा बुधवार को कश्मीर मुद्दे पर एक संयुक्त बयान जारी कर उक्त बात कही गई है। यह वही ईरान और पाकिस्तान हैं, जिन्होंने अभी हाल ही में एक दूसरे पर बड़ा जवाबी हवाई हमला किया था। मगर ईरान-इजरायल में युद्ध छिड़ने के बाद संभवतः वह परमाणु हथियारों और अन्य युद्धक हथियारों के लिए पाकिस्तान से दोस्ती की राह पर चल पड़ा है। अपने लाभ के चक्कर में ईरान ने भारत की आत्मा कहे जाने वाले कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ अपना संयुक्त बयान जारी किया है। 

पाकिस्तान-ईरान में हुए कई समझौते

 राष्ट्रपति रईसी ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के निमंत्रण पर 22-24 अप्रैल तक पाकिस्तान की आधिकारिक यात्रा की। उनके साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया था। राष्ट्रपति की पाकिस्तान यात्रा के समापन पर संयुक्त बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, दोनों पक्षों ने साझा चुनौतियों का पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए बातचीत और कूटनीति के माध्यम से विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया। बयान में कहा गया है, "दोनों पक्षों ने उस क्षेत्र के लोगों की इच्छा के आधार पर और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार बातचीत एवं शांतिपूर्ण तरीकों से कश्मीर मुद्दे को हल करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

भारत पहले ही किसी भी देश के बयान को कश्मीर पर कर चुका है खारिज

" भारत पहले भी कश्मीर मुद्दे पर अन्य देशों के ऐसे बयानों को खारिज कर चुका है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बार-बार कहा है, "केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं और हमेशा रहेंगे। किसी अन्य देश को इस संबंध में टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।" शरीफ ने सोमवार को संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया और ईरान को उसके रुख के लिए धन्यवाद दिया। हालांकि, राष्ट्रपति रईसी ने कश्मीर का उल्लेख करने से परहेज किया और इसके बजाय विशेष रूप से फलस्तीन में उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने वालों को ईरान की ओर से समर्थन देने की बात कही। (भाषा) 

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