Sunday, December 15, 2024
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कश्मीर से 370 हटने से कैसे बेबस हुआ पाक और लद्दाख के अलग प्रदेश बनने से क्यों कमजोर हुआ चीन, SCO में रोये दोनों देश

कश्मीर से 370 हटाना और फिर लद्दाख को अलग प्रदेश बनाने का फैसला कितना सही था, इस बात का अंदाजा आपको एससीओ शिखर वार्ता में चीन और पाकिस्तान को रोने से हो जाएगा। जाहिर है कि चीन- पाकिस्तान ने माना है कि भारत के इस फैसले से उनकी संप्रभुता कमजोर हुई है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Oct 16, 2024 21:18 IST, Updated : Oct 16, 2024 21:23 IST
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपने चीन समकक्ष ली कियांग के साथ। - India TV Hindi
Image Source : PTI पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपने चीन समकक्ष ली कियांग के साथ।

बीजिंग/इस्लामाबादः पाकिस्तान और उसके दोस्त चीन ने कश्मीर मुद्दे पर एक बार फिर अपना राग अलापा है। हमेशा की तरह पाकिस्तान ने चीन के सामने संघाई सहयोग संघठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय वार्ता में कश्मीर का मुद्दा उठाया। इसके बाद दोनों देशों ने इस पर एक संयुक्त बयान भी जारी किया। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से पाकिस्तान किस तरह बेबस है और साथ ही लद्दाख के अलग प्रदेश बनने से चीन कैसे खुद को कमजोर महसूस कर रहा है, इस बारे में दोनों देशों ने खुद अपना रोना रोया है। 

पाकिस्तान ने जहां कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने का परोक्ष संदर्भ देते हुए इसे एकतरफा कार्रवाई बताते हुए अपनी बेबसी जाहिर की तो वहीं चीन ने लद्दाख के अलग प्रदेश बनाने जाने के मुद्दे पर कहा कि इससी बीजिंग की संप्रभुता कमजोर हुई है। इसके बाद चीन और पाकिस्तान ने इसे एकतरफा कार्रवाई के प्रति अपना विरोध दोहराया और क्षेत्र में सभी लंबित मुद्दों के समाधान की आवश्यकता बताई। चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग की इस्लामाबाद यात्रा के संबंध में जारी चीन-पाकिस्तान संयुक्त वक्तव्य में कश्मीर मुद्दे पर उनकी घोषित स्थिति का उल्लेख किया गया। साथ ही कहा गया कि इसे प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानूनों और द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार हल किया जाना चाहिए।

चीन के प्रधानमंत्री ली बुधवार को संपन्न हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद में थे। वह चीनी नागरिकों पर आतंकवादी हमलों की बढ़ती घटनाओं के बीच पाकिस्तान के नागरिक और सैन्य नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ता और बैठकें करने के लिए इस्लामाबाद जल्द पहुंच गए थे।

पाकिस्तान के ग्वादर में चीन ने किया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन

इस दौरान चीनी पीएम ली ने बीजिंग द्वारा निर्मित ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का भी उद्घाटन किया। ग्यारह वर्षों में किसी चीनी प्रधानमंत्री की यह पहली पाकिस्तान यात्रा है। उनकी यह यात्रा 60 अरब अमेरिकी डॉलर की सीपीईसी(चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के तहत कई परियोजनाओं में काम कर रहे चीनी नागरिकों पर बलूच चरमपंथियों द्वारा बार-बार किए जा रहे हमलों को लेकर बीजिंग में बढ़ती चिंताओं के बीच हुई। चीन-पाकिस्तान संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है: ‘‘दोनों पक्षों ने दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और सभी लंबित विवादों के समाधान की आवश्यकता तथा किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करने की बात दोहराई।’’

कश्मीर विवाद पर चीन ने दिया बयान

पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में स्थिति के नवीनतम घटनाक्रम के बारे में चीनी पक्ष को जानकारी दिए जाने के दौरान, चीनी पक्ष ने दोहराया कि जम्मू-कश्मीर विवाद ‘‘काफी पुराना है, और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार उचित व शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए।” हालांकि, संयुक्त वक्तव्य में, अगस्त 2019 में भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का कोई प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं किया गया। लेकिन पाकिस्तान ने उस कदम का विरोध किया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया।

लद्दाख के अलग प्रदेश बनने से चीन को लगा क्या झटका

पीएम मोदी का लद्दाख को अलग प्रदेश बनाने का फैसला सिर्फ यूं ही नहीं था, क्योंकि इससे पड़ोसी देश चीन सदमे में है। एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी के इस फैसले से चीन को तीर कहां लगी है, ये बात उसने खुद ही बता दी है।चीन ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता कमजोर हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘चीन और पाकिस्तान रणनीतिक साझेदार हैं और उनके बीच अटूट दोस्ती है।  (भाषा) 

 

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