Thursday, April 18, 2024
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'खून की प्यासी और सत्ता की भूखी है चीन की सरकार', ड्रैगन पर बुरी तरह भड़का अमेरिका

चीन का कहना है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश बीजिंग पर तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का झूठा आरोप लगाते हैं।

India TV News Desk Edited By: India TV News Desk
Published on: March 11, 2023 9:15 IST
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Image Source : AP अमेरिका और चीन के रिश्ते पिछले कुछ महीनों से बेहद तल्ख हैं।

वॉशिंगटन: अमेरिका और चीन के रिश्तों में कुछ महीने पहले आई तल्खी बढ़ती ही जा रही है। ताजा मामले में अमेरिकी सदन की एक विशेष समिति के रिपब्लिकन अध्यक्ष ने वॉशिंगटन में चीनी दूतावास के बाहर एक रैली में शुक्रवार को बीजिंग सरकार को ‘खून की प्यासी’ और ‘सत्ता के लिए भूखी’ बताया। रिपब्लिकन सांसद माइक गैलागर चीन के शासन के खिलाफ 1959 के तिब्बत के असफल विद्रोह की याद में आयोजित इस रैली में शामिल हुए। बता दें कि यह रैली ऐसे वक्त में की गयी जब अमेरिका और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

'चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अब भी खतरा'

तिब्बती समुदाय के सदस्यों से बातचीत में गैलागर ने कहा कि वह आजादी और संस्कृति के लिए लड़ाई में उनके साहस को पहचान देना चाहते हैं। उन्होंने तिब्बती लोगों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के ‘सांस्कृतिक नरसंहार’ का पीड़ित बताया। उन्होंने कहा, ‘वे जरा भी नहीं बदले। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अब भी खतरा है, वह धोखेबाज, सत्ता के लिए भूखी और खून की प्यासी है।’ बता दें कि चीन सदियों से तिब्बत पर अपना दावा जताता रहा है और उसकी दलील है कि उसने क्षेत्र में जीवन जीने की स्थितियों में सुधार किया है तथा गरीबी कम की है। चीन का कहना है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश बीजिंग पर तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का झूठा आरोप लगाते हैं।

चीन के 'जासूसी गुब्बारे' का किया जिक्र
गैलागर ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि CCP हमारी अपनी संप्रभुता को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, चाहे वह चीन के जासूसी गुब्बारे के जरिए हो या सीसीपी द्वारा नियंत्रित एल्गोरिद्म या फेंटानिल के जरिए हो, जिससे एक साल में 70,000 अमेरिकियों की मौत होती है।’ माना जा रहा है कि गैलागर के इस बयान पर चीन की तरफ से भी बेहद तल्ख रिएक्शन आने की उम्मीद है। पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के रिश्तों में लगातार तल्खी आई है और इनके नेताओं के बीच बयानबाजी भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में आने वाले वक्त में चीन और अमेरिका के रिश्तों में गर्मी आने को लेकर कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

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