Friday, April 26, 2024
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अमेरिका में डॉक्टरों ने इंसान के शरीर में लगाया सुअर का दिल

डॉक्टरों ने कहा कि यह ट्रांसप्लंट दिखाता है कि जेनेटिक बदलाव के साथ जानवर का हृदय तत्काल अस्वीकृति के लक्षण दिखाए बिना मानव शरीर में कार्य कर सकता है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 11, 2022 15:43 IST
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Image Source : AP मरीज का जीवन बचाने की आखिरी कोशिश के तहत अमेरिकी डॉक्टरों ने उसमें एक सुअर के हृदय का प्रतिरोपण किया।

Highlights

  • मैरीलैंड के एक अस्पताल ने बताया कि अत्यधिक प्रयोगात्मक इस ऑपरेशन के 3 दिन बाद भी मरीज की तबियत ठीक है।
  • जीवन रक्षक प्रतिरोपणों में किसी जानवर के अंगों का इस्तेमाल करने को लेकर जारी दशकों पुराने रिसर्च की दिशा में यह एक कदम है।
  • बेनेट सोमवार को स्वयं सांस ले पा रहे थे, लेकिन वह अब भी हृदय और फेफड़ों संबंधी मशीनों की मदद ले रहे हैं।

बाल्टिमोर (अमेरिका): मरीज का जीवन बचाने की आखिरी कोशिश के तहत अमेरिकी डॉक्टरों ने उसमें एक सुअर के हृदय का प्रतिरोपण किया। ऐसा प्रयोग चिकित्सा जगत में पहली बार किया गया है। मैरीलैंड के एक अस्पताल ने सोमवार को बताया कि अत्यधिक प्रयोगात्मक इस ऑपरेशन के 3 दिन बाद भी मरीज की तबियत ठीक है। हालांकि ऑपरेशन की सफलता के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन जीवन रक्षक प्रतिरोपणों में किसी जानवर के अंगों का इस्तेमाल करने को लेकर जारी दशकों पुराने रिसर्च की दिशा में यह एक कदम है।

‘इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं था’

‘यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर’ के डॉक्टरों ने कहा कि यह ट्रांसप्लंट दिखाता है कि जेनेटिक बदलाव के साथ जानवर का हृदय तत्काल अस्वीकृति के लक्षण दिखाए बिना मानव शरीर में कार्य कर सकता है। मरीज डेविड बेनेट (57) के बेटे ने बताया कि डेविड को पता था कि इस प्रयोग के सफल होने की कोई गारंटी नहीं थी, लेकिन वह मरणासन्न अवस्था में थे, वह मनुष्य के हृदय के प्रतिरोपण के योग्य नहीं थे और उनके पास कोई और विकल्प नहीं था।

‘यह मेरे लिए करो या मरो की स्थिति थी’
‘यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर’ द्वारा मुहैया कराए गए एक बयान के अनुसार ऑपरेशन से एक दिन पहले बेनेट ने कहा, ‘यह प्रतिरोपण मेरे लिए करो या मरो की स्थिति थी। मैं जीना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि यह अंधेरे में तीर चलाने के समान है, लेकिन मेरे पास यही अंतिम विकल्प है।’ बेनेट सोमवार को स्वयं सांस ले पा रहे थे, लेकिन वह अब भी हृदय और फेफड़ों संबंधी मशीनों की मदद ले रहे हैं। उनके स्वास्थ्य के लिहाज से आगामी कुछ दिन अहम होंगे।

‘अगर ऑपरेशन सफल रहा तो...’
मैरीलैंड यूनीवर्सिटी के पशुओं-से-मानवों में प्रतिरोपण कार्यक्रम के वैज्ञानिक निदेशक डॉ. मोहम्मद मोहिउद्दीन ने कहा, ‘अगर यह ऑपरेशन सफल रहता है, तो पीड़ित मरीजों के लिए इन अंगों की अंतहीन आपूर्ति होगी।’ इससे पहले इस प्रकार के प्रतिरोपण की कोशिशें नाकाम रही हैं और इनका मुख्य कारण यह रहा कि इंसानी शरीरों ने जानवरों के अंगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। (भाषा)

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