राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली पुलिस के हाथ बड़ी सफलता लगी है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पांच राज्यों में फैले एक बड़े किडनी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया है। कुछ समय पहले ही क्राइम ब्रांच ने बांग्लादेश से चल रहे एक किडनी रैकेट का भांडा फोड़ किया था। इस मामले पर दिल्ली पुलिस DCP(क्राइम) ने जानकारी दी है।
लेते थे एक ट्रांसप्लांट के 40 लाख रुपये
दिल्ली पुलिस DCP(क्राइम) अमित गोयल ने इस मामले को लेकर बताया, "हमने अंतरराज्यीय रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए 8 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें संदीप आर्य मुख्य सरगना है। ये मरीज और डोनर की पहचान करते थे और फिर फर्जी दस्तावेज तैयार कर ट्रांसप्लांट करवाते थे। संदीप एक ट्रांसप्लांट के 40 लाख रुपये लेता था। इन 8 लोगों में कोई फर्जी दस्तावेज तैयार करता था, कोई डोनर को लाता था। ये मरीज के रिश्तेदार के नाम पर दस्तावेज तैयार करते थे। दस्तावेजों की जांच की जा रही है। 6 राज्यों में 11 अस्पतालों के बारे में पता चला है जहां ये ऐसा करते थे। हमने 5 मरीज और 2 डोनर को ट्रैक किया है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। हमें शिकायत मिली थी कि संदीप आर्य नाम के शख्स ने ट्रांसप्लांट के लिए 35 लाख रुपये लिए थे लेकिन ट्रांसप्लांट नहीं हुआ।"
महिला डॉक्टर समेत हुई थी कई गिरफ्तारी
पिछले दिनों बांग्लादेश से चल रहे किडनी रैकेट मामले में राजस्थान पुलिस ने बड़ा खुलासा किया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस सक्रियता से इस मामले की तफ्तीश में जुट गई और फिर पुलिस ने दिल्ली के बड़े नामी-गिरामी अस्पताल की महिला डॉक्टर समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया था। मामले में बांग्लादेशी मास्टरमाइंड भी गिरफ्तार हुआ था। बता दें कि महिला डॉक्टर ने नोएडा के एक हॉस्पिटल में 15 से 16 ट्रांसप्लांट किए थे।
25-30 लाख रुपये में होती थी डील
आरोप लगे कि महिला डॉक्टर के प्राइवेट असिस्टेंट के अकाउंट में इस अवैध धंधे का पैसा ट्रांसफर होता है, जिसे महिला डॉक्टर कैश में निकलवा लेती है। दिल्ली पुलिस ने बताया था कि यह पूरा रैकेट का मुख्य केंद्र बांग्लादेश था। इसके लिए बांग्लादेश में रैकेट के लोग डालिसिस सेंटर जाते और वहां पर देखते थे कि किस मरीज को किडनी की जरूरत है,और वो कितने पैसे इसके लिए दे सकता है। एक बार अगर कोई मरीज 25 से 30 लाख रुपये देने को तैयार हो जाता तो उसे इंडियन मेडिकल एजेंसी के जरिए भारत में भेज दिया जाता था।
बता दें कि महिला डॉक्टर को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने 4 दिन पहले पकड़ा है, मामला सामने आने के बाद अपोलो हॉस्पिटल ने महिला डॉक्टर को अपने यहां से निकाल दिया। पुलिस के मामले में बताया था कि डोनर को नौकरी के नाम पर इंडिया लाया जाता है और फिर यहां उनकी किडनी निकाल ली जाती है।
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