Thursday, March 20, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. Explainers
  3. Explainer: क्या PM मोदी के सटीक आप"दा" प्रबंधन ने रचा इतिहास, जानें कैसे 27 साल बाद खत्म हुआ दिल्ली से भाजपा का वनवास

Explainer: क्या PM मोदी के सटीक आप"दा" प्रबंधन ने रचा इतिहास, जानें कैसे 27 साल बाद खत्म हुआ दिल्ली से भाजपा का वनवास

दिल्ली में 10 साल तक लैंडस्लाइड विक्ट्री के साथ सत्ता में रहने वाली आम आदमी पार्टी को 2025 के विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। दिल्ली के पूर्व सीएम और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के अन्य दिग्गज नेता अपनी सीट तक नहीं बचा सके हैं।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Feb 08, 2025 16:51 IST, Updated : Feb 08, 2025 17:12 IST
पीएम नरेंद्र मोदी और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल।
Image Source : PTI पीएम नरेंद्र मोदी और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल।

नई दिल्लीः दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बंपर जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। वहीं खुद को कट्टर ईमानदार और स्वच्छ राजनीति का नुमाइंदा बताने वाली आम आदमी पार्टी (आप) की करारी शिकस्त हुई है। आप की इस हार ने जहां एक तरफ आंदोलन से निकली पार्टी से जनता का मोह भंग होने का प्रमाण दिया है तो वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता व उनकी गारंटी पर एक बार फिर मुहर लगाई है। मगर यह पूरा करिश्मा कैसे हुआ, आखिर किस वजह से दिल्ली में कभी 70 में से 62 और 70 में से 67 सीटें जीतने वाली पार्टी अचानक 25 से भी नीचे आ गई?...खुद को कट्टर ईमानदार बताने वाले आप पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल से लोगों का भरोसा आखिर क्यों उठ गया? आइये आप को सबकुछ विस्तार से बताते हैं।

आपको बताते हैं कि कौन से वो कारक थे, जिसने 27 साल बाद दिल्ली में भाजपा की सत्ता में वापसी कराकर उसका वनवास खत्म कर दिया और दिल्ली को आप"दा" से मुक्ति दिला दी। 

पहली वजह-भ्रष्टाचार के आरोपों में सीएम से लेकर डिप्टी सीएम तक का जेल जाना

पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल समेत, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और उनके कैबिनेट साथी रहे सत्येंद्र जैन समेत प्रमुख आप नेताओं का भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाना। दिल्ली शराब घोटाला मामले में आप के बड़बोले नेता संजय सिंह भी सलाखों के पीछे गए। प्राथमिक सुबूतों को मजबूत मानते हुए कोर्ट ने कई बार इन आरोपियों को जमानत तक देने से इन्कार कर दिया, लेकिन वह अपने आप को कट्टर ईमानदार बताते रहे। इससे जनता का भरोसा टूट गया।

बड़बोले दावे करना, काम सिफर

अरविंद केजरीवाल ने पहली बार सत्ता में आने के बाद से लेकर अब तक बड़े-बड़े काम कराने के दावे करते रहे, लेकिन जमीनी स्तर पर पर उनकी सरकार का काम नहीं दिखा। इसके कई उदाहरण हैं, जैसे वह यमुना नदी की सफाई पर हर चुनाव में बोलते कि इस बार यमुना में सभी को डुबकी लगवा दूंगा, मगर 10 साल में कोई काम नहीं कर सके। दिल्ली को पेरिस बनाने का सपना दिखाने वाली आम आदमी पार्टी ने राजधानी का बेड़ागर्क कर दिया। टूटी सड़कें, चौपट साफ-सफाई व्यवस्था, दिल्ली में गंदे पानी की सप्लाई, सभी विकास कार्यों का ठप होना और ऊपर से भ्रष्टाचार ने लोगों का मोह आप से भंग कर दिया। 

मोहल्ला क्लीनिक का भ्रष्टाचार

दिल्ली में जगह-जगह शराब ठेके खोलवाने वाली पार्टी का मोहल्ला क्लीनिक ने भी बंटाधार कर दिया। मोहल्ला क्लीनिक में जांच और इलाज के नाम पर लूट-खसोट के आरोपों और कुछ समय में इसकी बदहाली ने जनता को केजरीवाल पर से भरोसा तोड़ने को मजबूर किया। 

शीष महल का भ्रष्टाचार

स्वच्छ राजनीति का दावा कर सत्ता में आई आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल कभी बंगला, लालबत्ती वाली गाड़ी और अन्य लक्जरी सुविधाएं नहीं लेने की बात करते थे, लेकिन अपने लिए उन्होंने करोड़ों रुपये वाला लक्जरियस शीष महल बनवा डाला। इतना ही नहीं, उन्होंने लाल बत्ती की गाड़ी से लेकर सुरक्षा, लाव-लश्कर सबकुछ अपने साथ रखा। इससे केजरीवाल की छवि पल्टीवाल की बन गई। क्योंकि पहली बार भी उन्होंने कांग्रेस से समर्थन लेकर अपने उस वचन को तोड़ दिया था, जिसमें उन्होंने अपने बच्चों की कसम खाकर कांग्रेस से कभी समर्थन न लेने और देने की कसम खाई थी।

झूठ और नौटंकी से तंग आ गई जनता

दिल्ली की जनता को केजरीवाल के दावे झूठे लगने लगे। जो काम दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी थी, उसके लिए भी भाजपा को बेवजह कोसने से लोगों को लगने लगा कि वह किस स्तर की राजनीति कर रहे हैं। कभी यमुना में हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा जहर मिलाने की बात करना, कभी दिल्ली में पानी की कमी होने पर भाजपा सरकार को दोषी ठहराना। कोरोना काल में भी असुविधाओं के लिए केजरीवाल ने भाजपा पर दोष मढ़ना शुरू कर दिया था। 

एंटी इन्कंबेंसी

10 साल से दिल्ली में आप पार्टी सत्ता में रही, लेकिन इस दौरान न तो उम्मीदों के मुताबिक भ्रष्टाचार कम हुआ और न ही दिल्ली में कोई बड़ा बदलाव हुआ। जनता को लगने लगा कि दिल्ली का विकास ठहर सा गया है। फ्री बिजली और पानी का मोह भी जनता ने त्याग दिया। रही-सही कसर नगर निगम में आप की सरकार आने से पूरी हो गई। यानि जो आप पार्टी दिल्ली में सीवर, नालियों, साफ-सफाई और टूटी सड़कों के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराती थी, उसकी सत्ता एमसीडी और दिल्ली दोनों में होने के बावजूद वह कुछ काम नहीं कर सकी। इससे दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों में एंटी इन्कंबेंसी हो गई। जनता का मोह केजरीवाल और उनकी पार्टी से भंग होता गया। 

चल गया पीएम मोदा का आप"दा" प्रबंधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "आप" को दिल्ली के लिए आप"दा" कहकर लोगों की आंखें खोलने का काम किया। उनका यह नारा चल गया। दिल्ली वालों ने आप"दा" से मुक्ति पाने का प्रण कर लिया। साथ ही उसको पीएम मोदी की गारंटी पर भरोसा होने लगा। फ्री में सुविधाएं चाहने वाले वोटरों के लिए भाजपा ने जनकल्याणकारी योजनाएं जारी रखने और महिलाओं को 2500 रुपये प्रतिमाह व गर्भवती महिलाओं के लिए 21000 रुपये देने का ऐलान करके आप के मुफ्त बिजली, पानी वाली गारंटी की भी काट निकाल लिया। लिहाजा वोटरों ने जमकर भाजपा के लिए मतदान किया। इसके अलावा भाजपा ने उन सभी मुद्दों पर आप को घेरते हुए जनता का ध्यान खींचा, जिससे लोग तंग थे।

कांग्रेस से गठबंधन न करना पड़ा भारी

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली आप पार्टी ने इस बार अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। ऐसे में आप से नाराज तमाम वोटर और मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की ओर भी शिफ्ट हो गए। यह भी दिल्ली में आप के हार की वजह बना। 

स्वाती मालीवाल केस

दिल्ली की पूर्व महिला आयोग की अध्यक्ष और अपनी ही पार्टी की नेता स्वाती मालीवाल को अरविंद केजरीवाल के पीए विभव कुमार ने सीएम के घर में ही पीट दिया। कभी महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल की राज्यसभा की महिला सदस्य की की पिटाई पर चुप्पी बनी रही। इससे भी महिलाओं में उनके खिलाफ गुस्सा हुआ। स्वाती मालीवाल ने अरविंद केजरवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वह ऐसी जगहों पर जाकर वीडियो और रील बनाने लगी, जहां कीचड़, नालियों, सीवर के बहते पानी, गंदे पानी की आपूर्ति, टूटी सड़कें, चौपट साफ-सफाई के मुद्दे पर वह आप का पर्दाफाश करने लगी। इसका भी आप के खिलाफ असर हुआ। 

केजरीवाल नहीं बचा सके अपनी भी सीट

आम आदमी पार्टी की हालत यह हो गई कि कभी दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराने वाले अरविंद केजरीवाल अपनी भी सीट नहीं बचा सके। इसके साथ ही उनके दिग्गज नेता मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी चुनाव हार गए। 

 

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें Explainers सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement