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Explainer: मध्य प्रदेश की शत्रु संपत्ति से क्या है सैफ अली खान का कनेक्शन? जानें पूरा मामला

सैफ अली खान का नाम 'दुश्मन संपत्ति' मामले से जुड़ा है, जिसमें उनके परदादा हामिदुल्ला खान की संपत्तियां शामिल हैं। इन संपत्तियों पर भारत सरकार ने नियंत्रण लिया, लेकिन पटौदी परिवार ने इसे अदालत में चुनौती दी है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Jan 24, 2025 9:54 IST, Updated : Jan 24, 2025 9:54 IST
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Image Source : PTI पटौदी राजघराने के सदस्य एवं बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान।

नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता और पटौदी परिवार के सदस्यों में से एक सैफ अली खान का नाम हाल ही में मध्य प्रदेश के 'दुश्मन संपत्ति' मामले से जुड़ने के कारण चर्चा में है। यह मामला उनके परिवार के संपत्ति अधिकारों से संबंधित है, जो उनके परनाना और भोपाल के अंतिम नवाब हामिदुल्ला खान से जुड़ा है। इन संपत्तियों को भारत सरकार ने 'शत्रु संपत्ति' घोषित किया हुआ है। हालांकि यह एकमात्र मोर्चा नहीं है जहां सैफ मुश्किलों में घिरे नजर आ रहे हैं। बता दें कि सैफ अली खान पर पिछले दिनों एक बांग्लादेशी घुसपठिए ने हमला भी किया था जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए थे।

'शत्रु संपत्ति' क्या होती है? ये किसके कंट्रोल में होती हैं?

शत्रु संपत्ति एक्ट, 1968 के तहत 'शत्रु संपत्ति' उस संपत्ति को कहा जाता है जो उन व्यक्तियों या संस्थाओं के पास हो जो किसी ऐसे देश के नागरिक हों जिन्होंने भारत के खिलाफ जंग छेड़ रखी हो या जिन्होंने भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कार्रवाई की हो। इस एक्ट के तहत, वे संपत्तियां भी आती हैं जो किसी शख्स या संस्था के युद्ध के दौरान शत्रु देश में जाने के बाद भारत में रह गईं हों। 1968 के एक्ट के अनुसार, शत्रु संपत्ति का नियंत्रण भारत के 'कस्टोडियन ऑफ एनीमी प्रॉपर्टी' (CEPI) के पास होता है, जो गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है।

भारत में कितनी ‘शत्रु संपत्ति’ है? इनको बेचा कैसे जाता है?

गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में 12000 से अधिक संपत्तियां 'शत्रु संपत्ति' के रूप में रजिस्टर्ड हैं, जिनका अनुमानित कुल मूल्य एक लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। इन संपत्तियों की नीलामी या बिक्री सेक्शन 8A के तहत की जाती है। अस्थिर संपत्तियां, जैसे स्टॉक्स वगैरह को उच्चस्तरीय समिति के द्वारा निर्धारित मूल्यों पर बेचा जाता है। वहीं, आवासीय संपत्तियां, जैसे घर या जमीन की बिक्री उसके मूल्यांकन के बाद की जाती है।

शत्रु संपत्तियों को बेचने के नियमों में बदलाव किया गया है। अब, अगर ग्रामीण इलाकों में संपत्ति का मूल्य 1 करोड़ रुपये से कम है और शहरी इलाकों में यह 5 करोड़ रुपये से कम है, तो पहले उसे उस संपत्ति में रह रहे किराएदारों को बेचा जाएगा। अगर किराएदार खरीदने से मना कर देते हैं, तो इन संपत्तियों को नीलामी या टेंडर के जरिए बेचा जाएगा।

सैफ अली खान और उनके परिवार का संबंध

TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन संपत्तियों की चर्चा हो रही है उन्हें सैफ के परनाना और भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान द्वारा वसीयत में दिया गया था। 9 साल तक चली सत्यापन प्रक्रिया में 131 में से 94 संपत्तियों को 'शत्रु संपत्ति' घोषित किया गया था। यह मुद्दा भोपाल एस्टेट की वारिस आबिदा सुल्तान द्वारा विभाजन के 3 साल बाद पाकिस्तान चले जाने से शुरू हुआ। इसके कारण आखिरी नवाब की संपत्ति साजिदा सुल्तान को ट्रांसफर कर दी गई। साजिदा की शादी पटौदी के नवाब इफ्तिखार अली खान से हुई थी। उनके बेटे, मंसूर अली खान 'टाइगर' पटौदी जूनियर, सैफ अली खान के पिता थे।

CEPI द्वारा 3 साल की जांच के बाद 2015 में केंद्र ने इन संपत्तियों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था, लेकिन उस फैसले को अदालत में चुनौती दी गई थी। इस मामले पर हाई कोर्ट ने रोक लगाई हुई है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के समक्ष अपने तर्क में पटौदी परिवार के वकील ने तर्क दिया कि साजिदा सुल्तान को 1961 में एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से भारतीय सरकार द्वारा हमीदुल्ला खान का कानूनी उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। 2015 के CEPI के पत्र में आबिदा सुल्तान से संबंधित संपत्तियों के अधिग्रहण का भी हवाला दिया गया था।

कितनी है इन संपत्तियों की कीमत?

CEPI द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 113.6 एकड़ में फैली इन संपत्तियों का कुल मूल्य लगभग 1796 करोड़ रुपये है। इनमें महल, महंगी जगहों पर रियल एस्टेट और कृषि भूमि शामिल हैं। अपुष्ट खबरों के मुताबिक, CEPI ने राज्य सरकार को 133 संपत्तियों की सूची दी है, जो 1600 एकड़ में फैली हैं और इनमें भोपाल, सीहोर और रायसेन जिले की संपत्तियां शामिल हैं।

बताया जा रहा है कि ये सभी संपत्तियां अभी जांच के दायरे में हैं। सैफ अली खान और उनकी मां शर्मिला टैगोर को इस केस में जानकारी लेने के लिए गृह मंत्रालय के अपीलीय प्राधिकरण के पास जाने की सलाह दी गई थी। हालांकि 13 दिसंबर की सुनवाई में पटौदी परिवार की तरफ से कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था।

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