Wednesday, December 11, 2024
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Explainer: इजरायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत में क्यों पहुंचा दक्षिण अफ्रीका, गाजा संहार में किस लिए याद आए नेल्सन मंडेला?

गाजा में हमास आतंकियों पर लगातार इजरायली सेना बम बरसा रही है। मगर इस बमबारी में काफी संख्या में फिलिस्तीनी बच्चे, महिलाएं और आम लोगों की मौत हो रही है। इजरायली बमबारी में अब तक 22 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। नरसंहार रोकने की मांग को लेकर दक्षिण अफ्रीका अंतरराष्ट्रीय अदालत की शरण में पहुंच गया है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jan 13, 2024 13:37 IST, Updated : Jan 13, 2024 14:23 IST
सीरिल रामफोसा, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति। - India TV Hindi
Image Source : AP सीरिल रामफोसा, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति।

Explainer: इजरायल-हमास युद्ध का चौथा महीना चल रहा है। ईरान से लेकर लेबनान, यमन और तुर्की व मिस्र जैसे मुस्लिम देश इजरायल आर्मी द्वारा गाजा पर किए जा रहे हमले के खिलाफ हैं। मगर इनमें से कोई भी मुस्लिम देश इजरायल के खिलाफ गाजा के तथाकथित नरसंहार के मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय अदालत नहीं गया। मगर इन सबको पीछे छोड़ते हुए और सभी को चौंकाते हुए दक्षिण अफ्रीका इजरायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत (आइसीजे) पहुंच गया है। दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल के खिलाफ अइसीजे में मुकदमा भी कायम करा दिया है। यह देखकर हर कोई हैरान है। दुनिया जानना चाहती है कि आखिर दक्षिण अफ्रीका ही इजरायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत क्यों गया, बाकी देशों ने इसमें दिलचस्पी क्यों नहीं दिखाई?....तो आइये आपको इस मामले की पूरी वजह बताते हैं। 

दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल पर गाजा में फिलिस्तीनियों के नरसंहार का आरोप लगया है। इसे लेकर आइसीजे सुनवाई कर रहा है। इजरायली सेना ने गाजा के सभी हिस्सों को खंडहर और श्मशान बना दिया है। इसकी वजह है कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास आतंकियों ने इजरायल पर बड़ा हमला किया था और इस दौरान करीब 1200 इजरायली मारे गए और 250 लोगों को बंधक बना लिया। इससे बौखलाए इजरायल ने हमास आतंकियों के मुख्यालय गाजा को तबाह करने का प्रण कर लिया। अब चौथे महीने की जंग शुरू होने तक गाजा लगभग पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। मगर यहां काफी संख्या में फिलिस्तीनी भी रहते थे, जो इजरायली हमले में मारे गए हैं। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 22 हजार से अधिक फिलिस्तीनियों की इजरायली हमले में जान जा चुकी है। 

इजरायल पर मानवाधिकार हनन का आरोप

दक्षिण अफ्रीका का कहना है कि गाजा में हो रहा नरसंहार मानवाधिकार का हनन है। इजरायल हमास पर हमले की आड़ में आम फिलिस्तीनियों की हत्या करके अंतरराष्ट्रीय युद्ध का नियम तोड़ रहा है। इसलिए वह इस मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय अदालत पहुंचा है। मगर अब सवाल ये है कि अगर ऐसा है तो फिलिस्तीन के हितैषी अन्य मुस्लिम देशों ने यह फैसला क्यों नहीं लिया। ईरान से लेकर तुर्की, लेबनान और यमन तक ने आखिर क्यों अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया। इसके पीछे की खास वजह है। हालांकि ईरान से लेकर लेबनान, यमन और तुर्की जैसे मुस्लिम देश गाजा पर इजरायली हमले का लगातार विरोध कर रहे हैं और तत्काल युद्ध विराम की मांग करते रहे हैं। इतना ही नहीं, लेबनान में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह आतंकियों और यमन के हूती विद्रोहियों ने तो इजरायल के खिलाफ मोर्चा भी खोल रखा है। ये दोनों समूह खुलकर हमास के लिए इजरायल से जंग लड़ रहे हैं। बावजूद सीधी जंग की आशंका से इनमें से कोई भी देश इजरायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत नहीं गया। 

दक्षिण अफ्रीका क्यों गया आइसीजे

इजरायल के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय अदालत जाने की कई प्रमुख वजहें हैं। इस वक्त दक्षिण अफ्रीका में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस पार्टी का शासन है और सीरिल रामफोसा राष्ट्रपति हैं। दक्षिण अफ्रीका की मौजूदा सत्ताधारी पार्टी फिलिस्तीनियों के मुद्दे का दशकों से समर्थक रही है। यहां तक कि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपिता नेल्सन मंडेला ने तो यह तक कह दिया था कि उनके देश की आजादी का मकसद तब तक अधूरा रहेगा, जब तक कि फिलिस्तीनियों को आजाद देश नहीं मिल जाता। नेल्सन मंडेला के इन वचनों की गहराई को समझते हुए दक्षिण अफ्रीका हर हाल में फिलिस्तीनियों की हरसंभव मदद करना चाहता है। यही इजरायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत जाने की उसकी प्रमुख वजह है। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। इसका फायदा उसे चुनावों में मिल सकता है। दक्षिण अफ्रीका की मांग है कि गाजा में इजरायली सेना द्वारा किए जा रहे नरसंहार को जल्द से जल्द रोका जाना चाहिए। 

 

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