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भारतीय सिनेमा ने दुनिया को कई रत्न दिए हैं, लेकिन हम अभिनय और निर्देशन श्रेणियों में अकादमी पुरस्कार जीतने में असमर्थ रहे हैं। हालांकि, भारत कोई मामुली देश नहीं है, देश ने पिछले कुछ वर्षों में अकादमी पुरस्कारों की विभिन्न श्रेणियों में कई ऑस्कर जीते हैं। फिल्म निर्माता सत्यजीत रे से लेकर एआर रहमान, गुनीत मोंगा और एमएम कीरावनी तक, कई भारतीय हस्तियों ने ऑस्कर ट्रॉफी उठाई है। हालाँकि, आज हम आपको पहली भारतीय महिला के बारे में बताएंगे, जिन्होंने न केवल ऑस्कर जीता बल्कि देश को ऐसा सम्मान दिलाया, जैसा किसी और ने नहीं दिया।
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जी हां! हम बात कर रहे हैं भानु अथैया की, जो अकादमी पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय महिला थीं। भानु अथैया फिल्मी दुनिया में अपनी कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग के लिए जानी जाती थीं। आज हम आपको भानु की सफलता की कहानी के बारे में बताएंगे। भानु अथैया को 1982 में रिलीज हुई फिल्म 'गांधी' में कॉस्ट्यूम डिजाइन करने के लिए ऑस्कर से सम्मानित किया गया था। इस फिल्म को ब्रिटिश डायरेक्टर रिचर्ड एटनबरो ने बनाया था। भानु पेंटिंग में भी गोल्ड मेडलिस्ट थीं और यही वजह थी कि रिचर्ड एटनबरो ने उन्हें अपनी फिल्म के लिए चुना था।
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भानु अथैया का जन्म 28 अप्रैल 1929 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। भानु ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1956 में फिल्म सीआईडी से की थी। जहां उन्होंने गुरु दत्त, यश चोपड़ा और राज कपूर जैसे मशहूर बॉलीवुड डायरेक्टर्स के साथ काम किया। आपको बता दें कि उन्होंने गुरु दत्त के साथ ही अपने कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने चौदहवीं का चांद और साहेब बीवी और गैंगस्टर जैसी बड़ी फिल्मों के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग की। भानु अथैया 50 के दशक से भारतीय सिनेमा में सक्रिय थीं और उन्होंने 100 से ज्यादा फिल्मों के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन किए।
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ऑस्कर के अलावा उन्हें दो नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। उन्होंने आखिरी बार आमिर खान की फिल्म लगान और शाहरुख खान की फिल्म स्वदेस में कॉस्ट्यूम डिजाइन किए थे। साल 2012 में भानु अथैया ने ऑस्कर ट्रॉफी वापस करने की इच्छा जताई थी। वह चाहती थीं कि उनकी मृत्यु के बाद ऑस्कर ट्रॉफी को सुरक्षित स्थान पर रखा जाए। तब बीबीसी से बात करते हुए भानु अथैया ने कहा था, "सबसे बड़ा सवाल ट्रॉफी की सुरक्षा का है, भारत में पहले भी कई पुरस्कार गायब हो चुके हैं। मैंने इतने सालों तक पुरस्कार का लुत्फ़ उठाया है, मैं चाहती हूं कि भविष्य में भी यह सुरक्षित रहे। मैं अक्सर ऑस्कर के दफ़्तर जाती हूँ और मैंने देखा है कि कई लोगों ने अपनी ट्रॉफी वहां रखी हैं। अमेरिकी कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर एडिथ हेड ने भी मरने से पहले अपनी आठ ऑस्कर ट्रॉफियाँ ऑस्कर के दफ़्तर में रखी थीं।"
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भानु अथैया ने ऑस्कर समारोह की उस शाम को याद करते हुए कहा, "फिल्म के लेखक भी मेरे साथ कार में डोरोथी शिंडलर पैवेलियन में आयोजित समारोह में जा रहे थे। उन्होंने कहा था कि उन्हें लगता है कि पुरस्कार मुझे ही मिलेगा। 1983 के ऑस्कर समारोह में बैठे दूसरे डिजाइनर भी कह रहे थे कि पुरस्कार मुझे ही मिलेगा। मैंने पूछा कि आप इतने आत्मविश्वास के साथ यह कैसे कह सकते हैं? इस सवाल पर उन्होंने मुझे जवाब दिया कि आपकी फिल्म का दायरा इतना बड़ा है कि हम उसका मुकाबला नहीं कर सकते। पुरस्कार लेते समय मैंने सिर्फ इतना कहा कि मैं सर रिचर्ड एटनबरो का भारत की ओर दुनिया का ध्यान खींचने के लिए शुक्रिया अदा करती हूं। एकेडमी का शुक्रिया।"
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भानु अथैया का मानना था कि अगर उनकी ट्रॉफी ऑस्कर ऑफिस में रखी जाती तो ज्यादा लोग उसे देख पाते। भानु अथैया ने 15 अक्टूबर, 2020 को आखिरी सांस ली। ब्रेन ट्यूमर के कारण वह पिछले तीन सालों से बिस्तर पर थीं और गुरुवार की सुबह नींद में ही उनका निधन हो गया।