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जानें गुजरात की सीएम आनंदीबेन के बारे में 7 बातें

India TV News Desk India TV News Desk
Published on: August 02, 2016 13:23 IST
  • गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने जिस तरह से अचानक सीएम पद से इस्तीफा दिया है उससे सत्ता के गलियारे, ख़ासकर गुजरात में हड़कंप मचना लाज़मी है। दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने इस्तीफ़ा पार्टी आलाकमान को सौंपने के पहले सोमवार को फेसबुक पर इसका ऐलान किया। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आनंदीबेन ने गुजरात की बागडोर संभाली थी लेकिन पिछले 2 साल उनके लिए बेहद मुश्किल भरे साबित हुए। पहले पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने बतौर प्रसासक उनकी क्षमता पर सवालिया निशान लगाया तो हाल ही में दलितों पर अत्याचार ने रही सही कसर पूरी कर दी। बहरहाल, 75 साल की आनंदीबेन का जीवन संघर्षों से भरा रहा है हम आपको बताने जा रहे हैं उनके जीवन से जुड़ी 7 दिलचस्प बातें।
    गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने जिस तरह से अचानक सीएम पद से इस्तीफा दिया है उससे सत्ता के गलियारे, ख़ासकर गुजरात में हड़कंप मचना लाज़मी है। दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने इस्तीफ़ा पार्टी आलाकमान को सौंपने के पहले सोमवार को फेसबुक पर इसका ऐलान किया। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आनंदीबेन ने गुजरात की बागडोर संभाली थी लेकिन पिछले 2 साल उनके लिए बेहद मुश्किल भरे साबित हुए। पहले पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने बतौर प्रसासक उनकी क्षमता पर सवालिया निशान लगाया तो हाल ही में दलितों पर अत्याचार ने रही सही कसर पूरी कर दी। बहरहाल, 75 साल की आनंदीबेन का जीवन संघर्षों से भरा रहा है हम आपको बताने जा रहे हैं उनके जीवन से जुड़ी 7 दिलचस्प बातें।
  • आनंदीबेन पटेल का जन्म मेहसाणा के विजापुर में 21 नवंबर 1941 को हुआ। उनका पूरा नाम आनंदी बेन जेठाभाई पटेल है। उनके पिता जेठाभाई पटेल गांधीवादी नेता थे। आनंदीबेन बचपन से ही अपने पिता से प्रभावित थीं।
    आनंदीबेन पटेल का जन्म मेहसाणा के विजापुर में 21 नवंबर 1941 को हुआ। उनका पूरा नाम आनंदी बेन जेठाभाई पटेल है। उनके पिता जेठाभाई पटेल गांधीवादी नेता थे। आनंदीबेन बचपन से ही अपने पिता से प्रभावित थीं।
  • उनके पिता ने ऐसे दौर में आनंदीबेन को स्कूल भेजा जब लोग बेटियों को पढ़ाने के बारे में सोचते तक नहीं थे। मेहसाणा के जिस स्कूल में वो पढती थीं वहां 700 लड़कों के बीच वो अकेली लड़की हुआ करती थीं।
    उनके पिता ने ऐसे दौर में आनंदीबेन को स्कूल भेजा जब लोग बेटियों को पढ़ाने के बारे में सोचते तक नहीं थे। मेहसाणा के जिस स्कूल में वो पढती थीं वहां 700 लड़कों के बीच वो अकेली लड़की हुआ करती थीं।
  • -1960 में आनंदीबेन ने विसनगर के भीलवाई कॉलेज में विज्ञान विषय में एडमिशन लिया। स्नातक करने के बाद उन्होने पहली नौकरी के रूप में महिलाओं के उत्थान के लिए संचालित महिला विकास गृह में शामिल हो गईं, जहां उन्होने 50 से अधिक विधवाओं के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की।
    -1960 में आनंदीबेन ने विसनगर के भीलवाई कॉलेज में विज्ञान विषय में एडमिशन लिया। स्नातक करने के बाद उन्होने पहली नौकरी के रूप में महिलाओं के उत्थान के लिए संचालित महिला विकास गृह में शामिल हो गईं, जहां उन्होने 50 से अधिक विधवाओं के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की।
  • 1970 में में अहमदाबाद के मोहनीबा कन्या विद्यालय में उन्होंने टीचर की नौकरी कर ली और बाद में वह इस विद्यालय की प्रिंसिपल भी बनीं। आनंदीबेन के पति का नाम मफतलाल पटेल है उनके दो बच्चे हैं संजय पटेल बेटी अनार पटेल।
    1970 में में अहमदाबाद के मोहनीबा कन्या विद्यालय में उन्होंने टीचर की नौकरी कर ली और बाद में वह इस विद्यालय की प्रिंसिपल भी बनीं। आनंदीबेन के पति का नाम मफतलाल पटेल है उनके दो बच्चे हैं संजय पटेल बेटी अनार पटेल।
  • 1988 में आनंदीबेन बीजेपी में शामिल हुईं। 1995 में शंकर सिंह वाघेला ने जब बगावत की थी, तो उस कठिन दौर में उन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ पार्टी के लिए काम किया। 1998 में कैबिनेट में आने के बाद से उन्होंने शिक्षा और महिला एवं बाल कल्याण जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाला।
    1988 में आनंदीबेन बीजेपी में शामिल हुईं। 1995 में शंकर सिंह वाघेला ने जब बगावत की थी, तो उस कठिन दौर में उन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ पार्टी के लिए काम किया। 1998 में कैबिनेट में आने के बाद से उन्होंने शिक्षा और महिला एवं बाल कल्याण जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाला।
  • -गुजरात के लिए कई नीतियां बनाने में आनंदीबेन की भूमिका रही है। ई-ज़मीन कार्यक्रम, जमीन के स्वामित्व डाटा और जमीनों के रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकृत,जमीन के सौदों में होने वाली धांधली को रोकने, राज्य के 52 प्रतिशत किसानों के अंगूठे के निशानों और तस्वीरों का कंप्यूटरीकरण आदि नीतियों में आनंदीबेन का योगदान रहा है।
    -गुजरात के लिए कई नीतियां बनाने में आनंदीबेन की भूमिका रही है। ई-ज़मीन कार्यक्रम, जमीन के स्वामित्व डाटा और जमीनों के रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकृत,जमीन के सौदों में होने वाली धांधली को रोकने, राज्य के 52 प्रतिशत किसानों के अंगूठे के निशानों और तस्वीरों का कंप्यूटरीकरण आदि नीतियों में आनंदीबेन का योगदान रहा है।
  • 1998 से 2007 तक गुजरात सरकार में काबीना मंत्री के तौर पर उन्होंने शिक्षा मंत्रालय, उच्च और तकनीकी शिक्षा, महिला एवं बाल कल्याण, खेल, युवा एवं सांस्कृतिक गतिविधियां और 2007 से 2014 में मुख्यमंत्री बनने तक वो सड़क और भवन निर्माण, राजस्व, शहरी विकास और शहरी आवास, महिला एवं बाल कल्याण, आपदा प्रबंधन और राजस्व मंत्रालय संभाला।
    1998 से 2007 तक गुजरात सरकार में काबीना मंत्री के तौर पर उन्होंने शिक्षा मंत्रालय, उच्च और तकनीकी शिक्षा, महिला एवं बाल कल्याण, खेल, युवा एवं सांस्कृतिक गतिविधियां और 2007 से 2014 में मुख्यमंत्री बनने तक वो सड़क और भवन निर्माण, राजस्व, शहरी विकास और शहरी आवास, महिला एवं बाल कल्याण, आपदा प्रबंधन और राजस्व मंत्रालय संभाला।