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Dussehra Mistakes: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व विजयादशमी कहलाती है, क्योंकि इसी दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। यह पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन रावण दहन के साथ ही पर्व की समाप्ति होती है।
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ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर हमारे द्वारे किए गए कुछ शुभ कार्यों का जीवन पर सकारात्मक असर पड़ता है, तो वहीं इस दिन किए गए कुछ काम हमें अशुभ फल भी देते हैं।
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ऐसे में चलिए जानते हैं कि ऐसे कौन से काम हैं जो दशहरे के दिन करना अच्छा माना जाता है और कौन से काम हैं, जो भूलकर भी इस तिथि पर नहीं करने चाहिए।
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दशहरा का पर्व असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। ऐसे में इस दिन झूठ बोलना या किसी को धोखा नहीं देना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इन बुराईयों के कारण हमारे जीवन में मुश्किलें बढ़ती हैं। इसलिए हमेशा सच का साथ दें और किसी का गलत ना करें।
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दशहरे के दिन घर के बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेने की परंपरा है, जिसे हमेशा कायम रखें। इससे रिश्तों में मिठास बढ़ाती है। यह परंपरा आपको धार्मिक और सामाजिक रूप से भी मजबूत करती है।
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दशहरा अच्छाई की जीत का पर्व है। ऐसे में न तो खुद किसी तरह का भ्रम पालें ना किसी को डर फैलाने दें। किसी भी तरह के टोने-टोटके या झूठी मान्यताओं के पीछे न भागें।
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दशहरा नए संकल्प लेने और अच्छी शुरुआत करने के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। ऐसे में इस शुभ अवसर को आलस्य करके गंवाने से बचें और अपने सभी काम सही समय पर निपटाएं।
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ऐसी मान्यता है कि दशहरे के दिन पेड़ों को नहीं काटना चाहिए। यह प्रकृति और संतुलन का पर्व है। ऐसे में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना अशुभ माना जाता है।
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दशहरे के दिन क्रोध करने या किसी से लड़ाई-झगड़ा करने से बचें। इससे आपके रिश्तों में दरार आ सकती है। त्योहार के उत्साह में अक्सर झगड़े या बहसबाज़ी हो जाती है। ऐसे में गुस्सा और कठोर बातें नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देती हैं। ऐसे मौके पर संयम रखना ज्यादा बेहतर होता है।