Sunday, December 15, 2024
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रैगिंग मामलों पर सख्त हुई गुजरात सरकार, जानकारी नहीं देने पर पीड़ितों और गवाहों पर भी होगा एक्शन

गुजरात सरकार ने कहा है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की घटनाओं के उन पीड़ितों या गवाहों को भी उचित दंड दिया जाएगा जो इन घटनाओं की जानकारी नहीं देते।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : Mar 21, 2024 18:26 IST, Updated : Mar 21, 2024 18:26 IST
ragging cases- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO रैगिंग मामलों पर गुजरात सरकार का सख्त आदेश

गुजरात सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की समस्या को रोकने के लिए सख्त कदम उठाया है। राज्य सरकार ने अपने एक संकल्प में कहा है कि रैगिंग की घटनाओं के उन पीड़ितों या गवाहों को भी उचित दंड दिया जाएगा जो इन घटनाओं की जानकारी नहीं देते। सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में कहा गया है कि रैगिंग के लिए सजा में कक्षा और शैक्षणिक विशेषाधिकारों से निलंबन से लेकर निष्कासन तक शामिल होगा और साथ ही छात्र को इस हद तक बर्खास्त भी किया जा सकता है कि उसे पांच साल तक किसी भी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश नहीं दिया जा सके। 

पीड़ितों, गवाहों से लेकर सामूहिक दंड का भी प्रावधान

इसमें अपराध करने वाले या अपराध को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों की पहचान नहीं होने पर सामूहिक दंड का प्रावधान भी है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मंगलवार को जारी जीआर में कहा गया, ‘‘नए विद्यार्थी जो रैगिंग की घटनाओं के पीड़ित या गवाह के रूप में इसकी जानकारी नहीं देते, उन्हें भी उचित दंड दिया जाएगा।’’ राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को जीआर की एक प्रति मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ के सामने पेश की। सरकार ने कहा कि यह जीआर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा जारी रैगिंग संबंधी नियमों पर आधारित है।

गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट को दी जानकारी

गुजरात सरकार ने बुधवार को हाईकोर्ट को बताया कि उसने उच्च और तकनीकी शिक्षण संस्थानों में रैगिंग पर अंकुश लगाने के लिए एक आदेश जारी किया है और उन्हें इसका अनुपालन करने के लिए कहा है। महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध मायी की खंडपीठ को बताया कि सरकारी प्रस्ताव (जीआर) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा जारी नियमों के आधार पर जारी किया गया है।  

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