Thursday, April 25, 2024
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World Leprosy Day: कैसे शुरू होती है कोढ़ की बीमारी, क्या होते हैं शुरुआती लक्षण, डॉक्टर से जानें सबकुछ

लेप्रोसी एक संक्रामक बीमारी है, जिसे कुष्ठ रोग भी कहा जाता है और कई क्षेत्रों में इसे तपेदिक या कोढ़ के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानें, क्या है यह बीमारी, इससे बचाव और उपचार

Poonam Yadav Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Updated on: January 30, 2023 20:21 IST
Leprosy Day - India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Leprosy Day

लेप्रोसी एक संक्रामक बीमारी है, जिसे कुष्ठ रोग भी कहा जाता है। इस बीमारी से अब भी हर वर्ष लगभग दो लाख लोग लोग संक्रमित होते हैं। जागरुकता फैलाने के लिए हर साल जनवरी माह के अंतिम रविवार को कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है। इस बीमारी को लेकर आज भी लोगों में बहुत ज़्यादा अंधविश्वासी धारणाएं हैं। इसलिए आकाश हेल्थकेयर की डर्मटोलॉजिस्ट और कंसल्टेंट डॉ. पूजा चोपड़ा ने इस बीमारी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी हमसे साझा की। उन्होंने कहा कि यह रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री और माइकोबैक्टीरियम लेप्रोमेटॉसिस बैक्टीरिया के कारण होता है, जो सबसे पहले तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।

क्या है कारण

यह संक्रामक रोग संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति अगर खुली हवा में खांसता है, तो बैक्टीरिया आसपास की हवा में तरल पदार्थ की सूक्ष्म बूंदों के रूप में फैल जाता है और आसपास मौजूद व्यक्ति को संक्रमित करता है। यह संक्रमण इस बात पर भी निर्भर करता है कि सामने मौजूद व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कितनी मजबूत है। यानी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति को यह जल्दी संक्रमित करता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने या उससे गले मिलने से नहीं फैलता है। न ही यह कुष्ठ रोग से संक्रमित गर्भवती मां से उसके होने वाले बच्चे में फैलता है। 

दो प्रकार हैं प्रमुख

यह रोग मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। पहला ट्यूबरक्युलॉइड और दूसरा लेप्रोमेटस। कुष्ठ रोग के ज्यादातर प्रकार इन्हीं दोनों के मिश्रण होते हैं। इन दोनों ही प्रकारों में त्वचा पर घाव उभरता है। लेप्रोमेटस को अधिक गंभीर माना जाता है, जिसमें शरीर के प्रभावित हिस्से का मांस बढ़ने लगता है। यानी वहां गांठ बनने लगती है।

क्या हैं लक्षण?

कुष्ठ रोग के शुरुआती लक्षणों में प्रभावित हिस्से में सुन्नपन महसूस होना, स्पर्श महसूस न होना, सुई या पिन के चुभने जैसा महसूस होना, तापमान में बदलाव महसूस न होना, त्वचा पर दबाव डालने पर भी कुछ महसूस न होना, त्वचा के रंग में बदलाव आना, त्वचा पर फोड़े या चकत्ते बनना, त्वचा पर दर्द रहित फफोले बनना आदि लक्षण उभरते हैं।

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उपचार नहीं है मुश्किल

कुष्ठ रोग के उपचार के लिए आमतौर पर इसके प्रकार को जानने के बाद दो या उससे अधिक प्रकार की दवाओं का एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। यह कोर्स आमतौर पर छह महीने से एक साल तक चलता है। ये दवाएं क्षतिग्रस्त नसों का इलाज नहीं कर पाती हैं। इसलिए नसों की क्षति या नसों के दर्द को दूर करने के लिए एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इस रोग का इलाज लंबा चलता है, लेकिन यह पूरी तरह ठीक हो जाता है। ट्यूबरक्युलॉइड लेप्रोसी का उपचार आमतौर पर छह महीने चलता है और लेप्रोमैटस लेप्रोसी का उपचार लगभग एक साल तक। जो लेप्रोमैटस रोगी उपचार प्रारम्भ होने के पहले दूसरों के लिए काफी संक्रामक होते हैं, वहीं उपचार शुरू होने के एक सप्ताह बाद ही संक्रमण फैलाने वाले नहीं रह जाते। महत्वपूर्ण है कि जिन लोगों में ऐसे लक्षण दिखाई दे, उन्हें तुरंत किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए और जितनी जल्दी हो सके, अपना उपचार शुरू करवाना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर इस बीमारी के उपचार में लापरवाही बरती जाती है, तो प्रभावित हिस्से में विकलांगता या गंभीर विकृत्ति भी आ सकती है।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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