Wednesday, December 04, 2024
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World Pneumonia Day: प्रदूषित हवा की वजह से बढ़ सकता है निमोनिया का खतरा, बच्चे ही नहीं युवा भी हो सकते हैं शिकार, डॉक्टर से जानें कैसे करें बचाव?

जिस हवा में आप सांस ले रहे हैं ये आपके फेफड़ों को प्रभावित ही नहीं कर रही है बल्कि, इनके अंदर इंफेक्शन भी पैदा कर रही है। ऐसे में डॉक्टर बता रहे हैं कि वायु प्रदूषण से निमोनिया कैसे होता है और किन लोगों को ज़्यादा खतरा होता है साथ ही अपना बचाव कैसे करें?

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published : Nov 12, 2024 11:08 IST, Updated : Nov 12, 2024 11:08 IST
World Pneumonia Day 2024- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL World Pneumonia Day 2024

दिल्ली-एनसीआर की हवाओं में इन दिनों ज़हर घुला हुआ है। स्थिति ऐसी है कि हर दूसर व्यक्ति प्रदूषित हवाओं की वजह से सेहत से जुड़ी कई समस्याओं से घिरा हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वायु प्रदूषण की वजह से आप निमोनिया की चपेट में भी आ सकते हैं। जिस हवा में आप सांस ले रहे हैं ये आपके फेफड़ों के अंदर इंफेक्शन पैदा कर रही है। ऐसे में पैथोलॉजिस्ट-न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स में कंसल्टेंट डॉक्टर आकाश शाह, हमे बता रहे हैं कि वायु प्रदूषण से निमोनिया कैसे होता है और किन लोगों को ज़्यादा खतरा होता है साथ ही अपना बचाव कैसे करें? 

वायु प्रदूषण से निमोनिया कैसे होता है?

वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों को तेजी से बढ़ाता है, जिसमें निमोनिया भी शामिल है। यह बीमारी फेफड़ों में संक्रमण की वजह से होती है। बता दें,  पार्टिकुलेट मैटर (PM2।5 और PM10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और ग्राउंड-लेवल ओजोन जैसे प्रदूषक श्वसन सुरक्षा को कमज़ोर करते हैं, जिससे फेफड़े बैक्टीरिया, वायरस संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं जो निमोनिया का कारण बनते हैं। छोटे पार्टिकुलेट मैटर फेफड़ों में गहराई तक घुस सकते हैं, जिससे सूजन हो सकती है और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया ख़राब हो सकती है, जिससे संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

किन लोगों को होता है ज़्यादा खतरा:

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से निमोनिया होने का जोखिम छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्गों में ज़्यादा होता है। छोटे बच्चे, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर होती ह। वहीं, वृद्ध लोगोंको भी इस जोखिम का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा सुरक्षा उम्र के साथ कमज़ोर होती जाती है। साथ ही अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) या हृदय रोग जैसी स्वास्थ्य स्थितियों वाले व्यक्ति वायु प्रदूषण की चपेट में आने से निमोनिया से बहुत जल्दी ग्रसित होते हैं। प्रदूषित शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग या प्रदूषकों के व्यावसायिक संपर्क में रहने वाले लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।

कैसे करें अपना बचाव?

प्रदूषण से होने वाले निमोनिया से बचने के लिए  सुबह और शाम के समय जब प्रदूषण चरम पर होता है, तो बाहर आने जाने से बचें। हवा में मौजूद कणों के संपर्क को कम करने के लिए घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। मास्क पहनने से भी प्रदूषकों को फ़िल्टर करने में मदद मिल सकती है, खासकर ज़्यादा प्रदूषण के समय। इसके अतिरिक्त, संतुलित पोषण, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद के माध्यम से एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली बनाए रखें। इनको अपनाकर, व्यक्ति वायु प्रदूषण के कारण होने वाले निमोनिया के जोखिम को कम कर सकते हैं।

 

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