Friday, May 03, 2024
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फ्लैशबैक 2017: बलात्कार के पांच ऐसे झकझोर देने वाले वारदात जिसने किया इंसानियत को शर्मसार

एक महिला अपने आठ महीने के बच्चे के साथ ऑटो से सफर कर रही थी कि ऑटो चालक और ऑटो में सवार दो अन्य लोगों ने मौका पाकर महिला के साथ दुष्कर्म किया। इस बीच जब बच्चा रोया, तो हैवानों ने गुस्से में आकर उसे सड़क पर फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Updated on: December 27, 2017 19:16 IST

rape-case

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गुरुग्राम में मां से रेप के दौरान जब बच्चा रोया, तो हैवानों ने उसे सड़क पर फेंक दिया, जिससे उसकी हो गई मौत

इस साल चौथा चर्चित दुष्कर्म मामला गुरुग्राम का रहा। गुरुग्राम के मानेसर में 19 साल की युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म ने एक बार महिला सुरक्षा के खोखले दावों की पोल खोल दी थी। यह महिला अपने आठ महीने के बच्चे के साथ ऑटो से सफर कर रही थी कि ऑटो चालक और ऑटो में सवार दो अन्य लोगों ने मौका पाकर महिला के साथ दुष्कर्म किया। इस बीच जब बच्चा रोया, तो हैवानों ने गुस्से में आकर उसे सड़क पर फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

विशाखापट्टनम में नशे में चूर शख्स ने खुलेआम किया महिला का रेप

पांचवां मामला विशाखापट्टनम से है, जहां दिनदहाड़े सड़क किनारे एक महिला के साथ दुष्कर्म के मामले ने सभी के होश उड़ा दिए। इस मामले में समाज की संवेदनहीनता भी सामने आई, क्योंकि जिस वक्त एक शख्स शराब के नशे में चूर होकर खुलेआम महिला के साथ दुष्कर्म कर रहा था, उस वक्त सड़क पर काफी लोग आ-जा रहे थे। लेकिन किसी ने भी हैवान को रोकने की कोशिश नहीं की, बल्कि तमाशबीन बने रहे। इतना ही नहीं, कुछ लोग तो इस घटना का मोबाइल पर वीडियो भी बनाते दिखे।

ये मामले यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा को लेकर कुछ नया नहीं हुआ है। इस बीच केंद्र में सरकार बदली। परिवर्तन और अच्छे दिन लाने के वादे के साथ आई नई सरकार भी पुराने र्ढे पर चलती दिख रही है, इसलिए महिला सुरक्षा के मामले में कुछ भी नहीं बदला है। इसी बात को समझाते हुए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल कहती हैं कि कानून को कड़ा करना होगा और समाज को भी अपने नजरिए में बदलाव लाना होगा।

स्वाति ने कहा, "निर्भया कांड के बाद लगा था कि महिला सुरक्षा को लेकर तस्वीर बदलेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और न ही होता दिख रहा है। कानूनों को कड़े करने के साथ-साथ समाज को अपने नजरिए में बदलाव लाना होगा। किसी घटना पर आंख मूंदकर बैठने के बजाय तुरंत उसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू करनी होगी। महिलाओं के साथ जुल्म के मामलों में समाज की संवेदनहीनता भी देखने को मिल रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।"

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