Friday, April 26, 2024
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गौतम नवलखा की जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 12, 2021 13:50 IST
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Image Source : PTI FILE सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस केएम जोसेफ की एक पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ नवलखा कि याचिका खारिज कर दी। बता दें कि हाई कोर्ट ने मामले में नवलखा को जमानत देने से इनकार कर दिया था। जस्टिस जोसेफ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अदालत नवलखा कि याचिका खारिज कर रही है। शीर्ष अदालत ने नवलखा की जमानत याचिका पर 26 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा था।

सुप्रीम कोर्ट ने 3 मार्च को नवलखा की उस जमानत याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जवाब मांगा था, जिसमें दावा किया गया था कि मामले में आरोपपत्र तय समयसीमा में दायर नहीं किया गया और इसलिए वह जमानत के हकदार हैं। नवलखा के खिलाफ जनवरी 2020 को दोबारा प्राथमिकी दर्ज की गई थी और पिछले साल 14 अप्रैल को ही उन्होंने एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। वह 25 अप्रैल तक 11 दिन के लिए NIA की हिरासत में रहे और उसके बाद से ही नवी मुंबई के तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। 

पुलिस के अनुसार, कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसम्बर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिया था, जिससे अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की थी। यह भी आरोप है कि इस कार्यक्रम को कुछ मओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था। उच्च न्यायालय ने 8 फरवरी को यह कहते हुए नवलखा की याचिका खारिज कर दी थी कि ‘उसे विशेष अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई उचित कारण नजर नहीं आता, जो पहले ही जमानत याचिका खारिज कर चुका है।’ नवलखा ने उनकी जमानत याचिका खारिज करने के 12 जुलाई, 2020 के एनआईए अदालत के आदेश को पिछले साल उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने पिछले साल 16 दिसम्बर को नवलखा की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें इस आधार पर वैधानिक जमानत मांगी गयी थी कि वह 90 दिनों से ज्यादा समय से हिरासत में हैं लेकिन अभियोजन पक्ष इस दौरान आरोपपत्र दाखिल नहीं कर पाया। एनआईए ने दलील दी थी कि यह याचिका विचार योग्य नहीं है तथा उसने आरोपपत्र दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी। इसके बाद, विशेष अदालत ने नवलखा तथा उनके सह आरोपी डॉ. आनंद तेलतुम्बडे के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल करने के लिए समयावधि 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने का एनआईए का अनुरोध स्वीकार कर लिया था। (भाषा)

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