Thursday, March 28, 2024
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पाकिस्तान से आकर भोपाल में बसे सिंधियों की आंखों में चमक, चाहते हैं नागरिकता संशोधन विधेयक हो जाए पास

पाकिस्तान के जैकबाबाद से 9 साल पहले परमानंद बागझानी अपने परिवार के साथ भोपाल आकर रहे हैं। अब तक नागरिकता नहीं मिली। लेकिन अब नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर छिड़ी चर्चा से इन्हें कुछ उम्मीद जगी है।

Anurag Amitabh Written by: Anurag Amitabh @anuragamitabh
Updated on: December 05, 2019 22:34 IST
Sindhi- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV पाकिस्तान से आकर भोपाल में बसे सिंधियों की आंखों में चमक, चाहते हैं नागरिकता संशोधन विधेयक हो जाए पास

भोपाल। पाकिस्तान से आए दिन हिंदू और सिख समुदाय के लोग वहां हो रहे अत्याचारों से तंग आकर भारत का रुख करते हैं, लेकिन भारत में भी इन लोगों को अधिकारियों से वंचित होकर रहना पड़ता है। इन दिनों देश में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर चर्चा गर्म है और शायद इसी वजह से भोपाल में पिछले 40 सालों से रह रहे सिंधियों में उम्मीद की एक किरण जगी है।

अगर संसद से नागरिकता संसोधन विधेयक पारित होता है तो पड़ोसी देशों से भारत में आकर बसे गैर मुस्लिमों को आसानी से भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। भोपाल में ही करीब 100 से ज्यादा ऐसे परिवार हैं जिन्हें अब तक भारत की नागरिकता नहीं मिली। इंडिया टीवी ऐसे परिवारों तक पहुंचा और जानने की कोशिश की कि आखिर वो इस विधेयक के बारे में क्या सोचते हैं।

पाकिस्तान के जैकबाबाद से 9 साल पहले परमानंद बागझानी अपने परिवार के साथ भोपाल आकर रहे हैं। अब तक नागरिकता नहीं मिली। लेकिन अब नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर छिड़ी चर्चा से इन्हें कुछ उम्मीद जगी है। पाकिस्तान में जमा जमाया कारोबार संपत्ति छोड़कर आए परमानंद की पत्नी ने सिलाई करके बीते 9 सालों में अपना घर चलाया है। इनकी बच्ची भी कोचिंग पढ़ाकर परिवार को घर चलाने में मदद करती है। इन लोगों को उम्मीद है कि अगर इन्हें भी नागरिकता मिली, तो ये भी अन्य भारतीय नागरिकों की तरह तमाम सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे।

परमानंद ने इंडिया टीवी से बात करते हुए बताया। पाकिस्तान में हिंदू परिवारों के साथ लगातार उत्पीड़न होता आया है। मंदिर तोड़े जाते रहे हैं। हिंदू परिवारों की लड़कियों को अगवा किया जाता रहा है। ऐसे में वह हिंदुस्तान आए थे उम्मीद थी नागरिकता मिलेगी तो व्यवसाय जमेगा, 9 साल बीत गए नागरिकता नहीं मिली, लेकिन अब उनकी उम्मीद एकबार फिर जाग गई है।

परमानंद बागझानी हो या भोपाल के ईदगाह हिल्स पर रहने वाली शांता बत्रा सभी ने पाकिस्तान में रहने के दौरान हिंदुओं का उत्पीड़न देखा है। इन्होंने देखा है कि कैसे मंदिर जलाए गए, जबरन धर्मांतरण किया गया, बच्चियों को अगवा किया गया, इसी वजह से ये लोग भारत आए। इन्हें उम्मीद थी कि कुछ दिनों में इन्हें नागरिकता जरूर मिल जाएगी लेकिन शांता बत्रा को भोपाल में रहते 40 साल हो गए अब तक नागरिकता नहीं मिली।

पाकिस्तान के जैकबाबाद से आने के बाद दो पीढ़ियां गुजर गईं, बच्चे भी बड़े हो गए लेकिन अब तक भारतीय नहीं कहला पाए। लेकिन अब एक बार फिर बत्रा परिवार को अपना सपना बेहद करीब नजर आने लगा है, ये सपना है भारतीय कहलाने का... जिसके बाद ये पंख फैलाकर उड़ सकेंगे।

शांता बत्रा प्रधानमंत्री मोदी को दुआएं देते नहीं थक रही है। 40 साल पहले अपने माता-पिता के साथ आई शांता बताती है पाकिस्तान में हिंदू परिवारों के साथ हो रहे अत्याचारों के चलते पाकिस्तान छोड़ा था। 40 साल हो गए अब तक नागरिकता नहीं मिली थी ऐसे में अब उन्हें उम्मीद है कि उनको और उनके जैसे परिवारों को भारत के नागरिक कहलाने का हक मिलेगा।

वहीं भोपाल के सिंधी कॉलोनी में रहने वाले सुमरमल माधवानी 5 साल और उनका परिवार 5 साल पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जेकबाबाद जिले के फुल गांव से हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार से पीड़ित होकर हिंदुस्तान आए थे। अखबार में नागरिकता संशोधन विधेयक की खबर पढ़ते ही उनके घर पर तमाम ऐसे परिवार इकट्ठे हो गए हैं जो पाकिस्तान से आए थे जिन्हें नागरिकता मिलने की उम्मीद है।

भले ही नागरिकता संशोधन विधेयक को भी हकीकत बनना बाकी हो, लेकिन पाकिस्तान से आकर भोपाल में बसे परिवारों की चेहरे पर अभी से चमक देखी जा सकती है, इन सभी को उम्मीद है कि भले ही ये विपक्षी दलों के लिए हंगामे का विधायक हो लेकिन उनके लिए किसी बड़े सपने के पूरा होने जैसा है। 

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