Friday, April 19, 2024
Advertisement

कैसे निपटेंगे पाक-चीन से? युद्ध हुआ तो भारत के पास महज 10 दिन का ही गोला-बारूद

सितंबर 2016 में पाया गया कि सिर्फ 20 फीसदी गोला-बारूद ही 40 दिन के मानक पर खरे उतरे। 55 फीसदी गोला बारूद 20 दिन के न्यूनतम स्तर से भी कम थे। हालांकि इसमें बेहतरी आई है, लेकिन बेहतर फायर पावर को बनाए रखने के लिए बख्तरबंद वाहन और उच्च क्षमता वाले गोला-

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: July 22, 2017 7:39 IST
army-tank- India TV Hindi
army-tank

नई दिल्ली: चीन और पाकिस्तान से भारी तनाव के बीच आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा था कि भारत ढाई मोर्चे पर जंग के लिए तैयार है लेकिन यदि हम नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट पर नजर डाले तो स्थिति काफी चिंन्ताजनक है। कैग ने सेना के पास गोला-बारूद की भारी कमी होने की रिपोर्ट संसद में दाखिल की है। इसके मुताबिक 10 दिन के सघन टकराव की स्थिति के लिए भी पर्याप्त गोला-बारूद नहीं है। ये भी पढ़ें: भारतीय बोफोर्स में लगा दिया नकली चीनी कल-पुर्जे, FIR दर्ज

कैग ने चार पनडुब्बी रोधी वाहक युद्धक पोत के निर्माण में असाधारण विलंब के लिए नौसेना को भी आड़े हाथ लिया है। संसद में पेश की गयी कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि नौसेना को सुपुर्द किये गये चार युद्धक पोतों में जरूरी अस्त्र एवं सेंसर प्रणाली नहीं लगायी गयी जिसके कारण वे अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं जिसकी परिकल्पना की गयी थी। कैग ने नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय की भी वाहक पोत की डिजाइन को अंतिम रूप देने में विलंब के लिए आलोचना करते हुए कहा कि स्वीकृत डिजाइन में 24 बदलाव किए गये।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया है कि 2007-8 में हुई 38 दुर्घटनाओं में नौसेना के पोत एवं पनडुब्बियां शामिल रहे। इससे बल की अभियानगत तैयारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसकी रिपोर्ट में कहा गया कि सुरक्षा मुद्दों से निबटने के लिए एक विशेष संगठन बनाया गया था। बहरहाल इसके लिए सरकार की मंजूरी प्रतीक्षित है।

वहीं थल सेना पर कैग द्वारा संसद में रखी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना मुख्यालय ने 2009 से 2013 के बीच खरीदारी के जिन मामलों की शुरुआत की, उनमें अधिकतर जनवरी 2017 तक पूरे नहीं हो सके थे। 2013 से ही ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने सप्लाई किए जाने वाले गोला-बारूद की गुणवत्ता और मात्रा में कमी पर ध्यान दिलाया गया, लेकिन इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई। उत्पादन लक्ष्य में कमी कायम रही।

रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि सितंबर 2016 में पाया गया कि सिर्फ 20 फीसदी गोला-बारूद ही 40 दिन के मानक पर खरे उतरे। 55 फीसदी गोला बारूद 20 दिन के न्यूनतम स्तर से भी कम थे। हालांकि इसमें बेहतरी आई है, लेकिन बेहतर फायर पावर को बनाए रखने के लिए बख्तरबंद वाहन और उच्च क्षमता वाले गोला-बारूद जरूरी लेवल से कम पाए गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने 2013 में रोडमैप मंजूर किया था, जिसके तहत तय किया गया कि 20 दिन के मंजूर लेवल के 50 फीसदी तक ले जाया जाए और 2019 तक पूरी तरह से भरपाई कर दी जाए। 10 दिन से कम अवधि के लिए गोला-बारूद की उपलब्धता क्रिटिकल (बेहद चिंताजनक) समझी गई है। 2013 में जहां 10 दिन की अवधि के लिए 170 के मुकाबले 85 गोला-बारूद ही (50 फीसदी) उपलब्ध थे, अब भी यह 152 के मुकाबले 61 (40 फीसदी) ही उपलब्ध हैं।

2008 से 2013 के बीच खरीदारी के लिए 9 सामग्रियों की पहचान की गई थी। 2014 से 2016 के बीच इनमें से पांच के ही कॉन्ट्रैक्ट पर काम हो सका है। कमी को दूर करने के लिए सेना मुख्यालय ने बताया है कि मंत्रालय ने उप प्रमुख के वित्तीय अधिकार बढ़ा दिए हैं। आठ तरह के आइटमों की पहचान की गई है, जिनका उत्पादन भारत में किया जाना है। ज्यादातर आपूर्ति ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड की ओर से की जाती है, लेकिन उत्पादन का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता है। इस बारे में बोर्ड का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। हथियार की कमी से निपटने के लिए मंत्रालय से 9 सिफारिशें की गई थीं, लेकिन फरवरी तक मंत्रालय से कोई जवाब नहीं मिला है।

ये भी पढ़ें: अगर सांप काटे तो क्या करें-क्या न करें, इन बातों का रखें ध्यान...

इस राजा की थी 365 रानियां, उनके खास महल में केवल निर्वस्‍त्र हीं कर सकते थे एंट्री

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement