Friday, March 29, 2024
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यहां एक रुपये/किलो बिक रहा लहसुन, किसान परेशान

नीमच मंडी से मिली जानकारी के अनुसार इस साल जनवरी माह में लहसुन 50 से 80 रूपए प्रति किलोग्राम के भाव बिकी थी। उसके बाद से भाव लगातार नीचे गिरते चले गए।

Bhasha Reported by: Bhasha
Updated on: May 08, 2018 7:28 IST
Madhya Pradesh: Garlic prices crash, upset farmers want support price- India TV Hindi
यहां एक रुपये/किलो बिक रहा लहसुन, किसान परेशान

नीमच: मध्य प्रदेश में इस मौसम में बंपर फसल के चलते लहसुन के दाम औंधे मुंह गिरकर एक रूपये प्रति किलो रह गया है। फसल की लागत भी नहीं मिलने के कारण राज्य के लहसुन उत्पादक किसानों में भारी निराशा है। मध्य प्रदेश, देश के सबसे बड़े लहसुन उत्पादक राज्यों में से एक है। राज्य के मालवा क्षेत्र में सबसे अधिक लहसुन उत्पादन होता है। लहसुन की कीमत औंधे मुंह गिरने के कारण निकटवर्ती मंदसौर जिले की शामगढ़ मंडी में जमकर बवाल हुआ और किसानों ने मंडी कमेटी के दफ्तर को घेर लिया। हालात इतने बिगड़े की पुलिस और प्रशासन के अफसरों को मौके पर कमान संभालनी पड़ी।

नीमच जिले के लहसुन उत्पादक किसान सूर्यभान सिंह बना ने बताया, ‘‘मालवा की मंडियों में लहसुन के दाम औंधे मुंह गिरकर आजकल एक रूपये से पांच रूपये किलो रह गये हैं। इससे किसानों को उनकी इस उपज की लागत भी नहीं मिल रही है।’’ नीमच मंडी से मिली जानकारी के अनुसार इस साल जनवरी माह में लहसुन 50 से 80 रूपए प्रति किलोग्राम के भाव बिकी थी। उसके बाद से भाव लगातार नीचे गिरते चले गए। मध्य प्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार कृषि कर्मण अवार्ड लेने के लिए उत्पादन बढ़ाकर दिखाती है और भावांतर योजना के तहत जब पैसा किसान को देना पड़ता है तो उसी चीज का उत्पादन कम दिखाती है, जिससे किसान को भावांतर योजना का भी पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पाता है।

उन्होंने सरकार से मांग की कि किसान के हर उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाये, ताकि उनको अपनी उपज का वाजिब दाम मिल सके। नीमच के पूर्व मंडी अध्यक्ष और लहसुन किसान उमराव गुर्जर कहते है एक बीघा जमीन में लहसुन उपजाने में करीब 20,000 से 22,000 रूपए का खर्च आता है और एक बीघा में यदि 15 क्विंटल लहसुन पैदा हुयी तो एक रूपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से उसका दाम 1500 रूपए हुआ। यदि इसमें ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और जोड़ दे तो आज के भाव पर किसान को उसकी लागत भी नहीं मिल पा रही है। आज से तीन साल पहले लहसुन 150 रूपये से 200 रूपए प्रति किलोग्राम तक बिका है।

इस पूरे मामले में लहसुन कारोबारी चौधरी ने बताया, ‘‘काफी माल (लहसुन) अन्य राज्यों में जाता है जैसे नीमच, मंदसौर और जावरा मंडियों से लहसुन गुजरात के महुआ में जाता था, जहां देश के सर्वाधिक लहसुन प्रोसेसिंग प्लांट हैं। लेकिन वहां आर्थिक मंदी के कारण प्लांट बंद हो रहे हैं, जिससे व्यापारियों का पैसा अटक गया। ऐसे में व्यापारी खरीदी कैसे करेगा। जब खरीदी नहीं होगी और उत्पादन बम्पर होगा तो दाम गिरेंगे ही।’’

इस मामले में लहसुन की ग्रेडिंग इंडस्ट्री चलाने वाले कारोबारी और भाजपा के नीमच जिला मीडिया प्रभारी कमलेश मंत्री ने कहा कि लहसुन के कारोबार में आर्थिक मंदी है। नीमच, मंदसौर और जावरा के व्यापारियों का बेहिसाब पेमेंट गुजरात सहित अन्य राज्यों में अटका है, जिसके चलते इन मंडियों में लहसुन की लेवाली कमजोर पड़ गई है।

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