Thursday, March 28, 2024
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मोदी सरकार की योजनाओं से गरीब हुए सशक्त, जीवन में आया सकारात्मक बदलाव: जे. पी. नड्डा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा आरंभ की गई कल्याणकारी योजनाओं की सराहना करते हुए भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि इनसे गरीब और अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति सशक्त हुआ है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन आया है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 14, 2020 20:54 IST
 BJP president JP Nadda - India TV Hindi
Image Source : PTI  BJP president JP Nadda 

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा आरंभ की गई कल्याणकारी योजनाओं की सराहना करते हुए भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि इनसे गरीब और अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति सशक्त हुआ है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन आया है। नड्डा ने कहा कि मोदी सरकार देश के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर रही है और भाजपा के संस्थापक और विचारक पंडित दीनदयान उपाध्याय के दृष्टिकोण को साकार कर रही है। वह छत्तीसगढ के पूर्व राज्यपाल और भाजपा नेता बलराम दास टंडन की याद में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। 

अपने संबोधन में नड्डा ने केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र किया और उज्ज्वला, उजाला, प्रधानमंत्री किसान निधि जैसी योजनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि इनसे समाज के गरीब और पिछड़े लोगों को अत्यधिक लाभ पहुंचा है। उन्होंने कहा, 'जितनी भी योजनाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार में सामने आई हैं, उन्होंने सामाजिक परिवर्तन और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को ताकत देने का काम किया है।'

उन्होंने कहा, 'जब प्रधानमंत्री कहते थे कि जनधन योजना में खाता खोलो तो लोग मजाक बनाते थे। आज 40 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें आधे से अधिक महिलाएं हैं। 32 करोड़ एलईडी बल्ब, 71 लाख एलईडी ट्यूब, 23 लाख से ज्यादा बिजली की कम खपत वाले पंखे भी मुफ्त वितरित किए गए हैं।' बलराम दास टंडन से अपने संबंधों का जिक्र करते हुए नड्डा ने कहा कि तजुर्बे में वो उनसे बहुत बड़े थे। भाजपा के वो पहली पीढ़ी के नेता थे तथा भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।

उन्होंने कहा, 'उनका राजनीतिक जीवन काफी लंबा था। जब वो राजनीतिक जीवन में आए, तब पाने के लिए कुछ नहीं था, खोने के लिए सब कुछ था। वो वैचारिक पृष्ठभूमि पर हमारे बीच आए थे। एक विचारधारा के लिए जीवन लगाना और उस विचारधारा के लिए जीना, ये हमें उनसे सीखना चाहिए।'

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