नई दिल्ली: भारतीय रेल में सफर करने वालों के लिए ये खबर बहुत खास है। ऐसी कोच में सफर करने के दौरान आपने रेलवे के दिए कंबलों का उपयोग किया ही होगा पर इन कंबलों को लेकर एक ऐसी बात सामने आई है जिसको जानकर आप इनका उपयोग आगे कभी नहीं करेंगे। ट्रेन के ऐसी कोच में आपको रेलवे की ओर से कंबल दिए जाते हैं। इन कम्बलों का उपयोग आप वैसे ही करते हैं जैसे आप अपने घर में अपने कंबलों का करते हैं लेकिन इन कंबलों को लेकर हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है और इस खुलासे को जानकर आप भविष्य में इन कंबलों का उपयोग करना भूल जायेंगे।
2 महीने में एक बार धोए जाते हैं कंबल
दरअसल लोकसभा में रेल राज्य मंत्री राजन गोहेन एक प्रश्न का उत्तर देते हुए जो कहा वह हैरान कर देने वाला था। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे यह सुनिश्चित करती है कि ट्रेन में बिछाई जानें वाली चादरें एक बार उपयोग के बाद धोई जाएं और कंबल कम से कम 2 महीने में एक बार धोए जाएं। देखा जाएं तो चादर तक तो सही है पर कंबल को 2 महीने में सिर्फ एक बार धोने कहां तक जायज है। आखिर रेलवे अपने कंबलों को 2 माह में एक बार ही क्यों धोता है।
पिछले साल सीएजी ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कई जगह ट्रेन में मिलने वाले कंबलों को 3 साल तक नहीं धोया जाता है। रेलवे की मौजूदा व्यवस्था में ट्रेन में एसी कोच में सफर करने पर आपको तकिया, बेडशीट और कंबल मिलता है। इस बारे में जब सोशल मीडिया पर खबर आयी तो हंगामा मच गया। एक और लोग रेलवे द्वारा किये जा रहे इस कार्य को गलत ठहरा रहें हैं वहीं दूसरी और बहुत लोग रेलवे के कंबलों का उपयोग न करने की बात कह रहें हैं।
क्या हैं नियम?
गाइड लाइन के अनुसार चादरें, तकियों के कवर्स, तौलिए आदि एक बार इस्तेमाल होते ही तुरंत धोने के लिए दिए जाने चाहिए। कंबल हर 2 महीने बाद धुलने चाहिए। लेकिन इसका पालन बिल्कुल भी नहीं हो रहा है।
रेलवे अब कंबल के साथ कवर भी देगा
रेलवे अब सभी फर्स्ट एसी कोचों में कम्बल के साथ कवर भी देगा। अप और डाउन ट्रेनों मे अलग अलग रंग के कवर होंगे ताकि कवर रिपीट होने की गुंजाइश न रहे। भारतीय रेलवे के सूत्रों के मुताबिक ये आदेश लागू कर दिए गए हैं। हालांकि कुछ समय पहले ये भी खबरें थीं कि रेलवे सफर के दौरान ट्रेनों में मिलने वाला कंबल बीते दिनों की बात होगा और रेलवे मंत्रालय ट्रेन में मिलने वाले कंबल को बंद करने की योजना बना रहा है।
कहा जा रहा था कि रेलवे एसी कोच में तापमान 22-24 डिग्री स्थिर करने पर विचार कर रहा है जिससे कंबल की जरुरत ही खत्म हो जाएगी। वहीं कंबल की जगह खेस (ओढने के लिए मोटी चादर) देने की खबरें भी सामने आ रही थीं।