नई दिल्ली: अफगानिस्तान में चल रहे घटनाक्रम और उसपर भारत के अभी तक के स्टैंड पर पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने इंडिया टीवी से बात की। उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान को लेकर पूरा संसार इस समय दुखी है, वहां के लिए जो एक अपेक्षा थी कि वहां पर अमन, चैन आएगा, ऐसा नहीं हो पाया। भारत का वहां पर बड़ा निवेश है। भारत ने वहां पर डैम बनाए, स्कूल, कॉलेज बनाए, संसद भवन बनाया। असल चिंता इस बात की है कि इतनी बड़ी घटना घट गई अफगानिस्तान में और हम बिलकुल असहाय हो गए, न कोई हमारी बात सुन रहा है, न हम किसी से बात कर सकते हैं, न किसी के साथ हमारे विशेष संबंध हैं।"
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, "भारत का दुनिया में एक विशेष अस्तित्व है, लेकिन इसके बावजूद हम अफगानिस्तान में असहाय से हो गए। हम उनके साथ ऐतिहासिक तौर पर जुड़े रहे हैं। उनके लिए न आज हम कुछ कर सकते हैं और न ही हमारी बात कोई सुन रहा है, न कोई हमसे पूछ रहा है। यह दो स्टूल के बीच में गिरने वाली बात है, हम न यहां हैं न वहां हैं।"
उन्होंने कहा, "आज जो अमेरिका में रिस्पॉन्स है, वहां पर किसी को अफगानिस्तान से उनकी वापसी पर शिकायत नहीं है, कुछेक को छोड़ दें। हमने हमेशा देखा है कि अमेरिका दूसरों की जंग लड़ता है और अमेरिकी सैनिक उसमें मारे जाते हैं, जिससे अमेरिका में हमेशा से रोश भरा रहता है। अमेरिका और भारत के लिए यह सोच का विषय है कि यह लड़ाई किसी एक की नहीं बल्कि यह लड़ाई मानवता की है और विश्व की है।"
सलमान खुर्शीद ने कहा, "तालिबान के बारे में कुछ लोग तो मान गए हैं कि यह वो वाला तालिबान नहीं है जो 20 साल पहले था। लेकिन कुछ लोग इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। आज हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं है, जिसको आधार मानकर हम कह सकें कि बहुत बड़ा परिवर्तन आया है और अगर हम इनके साथ मिलकर चलें तो और परिवर्तन आए तथा वैश्विक समुदाय में ये अपनी जगह बनाए। हमें थोड़ा सा रुकना पड़ेगा, जो हो चुका है वह तो हो चुका है। लेकिन, आगे चलकर भारत को दुनिया के दूसरे देशों के साथ चर्चा करनी पड़ेगी।"
भारत में उठ रही प्रो तालिबान आवाजों के सवाल पर उन्होंने कहा, "यह इतना दुख का विषय है कि इसमें प्रो और अगेंस्ट, मतलब हम अपने यहां दरारें बना दें सिर्फ इसलिए कि किसी और के घर में आग लगी है, हम किसी और की लगी हुई आग की चिंगारियां अपने घर क्यों आने दें। जो वहां हो रहा है, उसका समर्थन करना या उसके हिमायत में कोई बात कहना, यह बात समझ में नहीं आती। आतंकवाद का, जो तालिबान का इतिहास रहा है वह यहां पर लोगों को डराता है, उसको जो सहमति या सहयोग देता है वह हमारे देश के साथ अच्छा काम नहीं कर रहे हैं।"