Sunday, May 12, 2024
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जामिया हिंसा: छात्रों को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कहा पुलिस कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र, हाईकोर्ट को सौंपी जांच

रविवार को दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी के पास हुए हिंसक उपद्रव के बाद पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ ये याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 17, 2019 13:43 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Supreme Court

जामिया हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा पुलिस कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की कमेटी को हिंसा के कारणों का पता लगाने का आदेश दिया है।  रविवार को दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी के पास हुए हिंसक उपद्रव के बाद पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ ये याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। इससे पहले इस मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने सोमवार को कहा था कि आप पहले याचिका दाखिल कीजिए, इसके बाद सुनवाई मंगलवार को होगी। इस दौरान चीफ जस्टिस बोबडे ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप स्टूडेंट हैं, इसलिए आपको हिंसा करने का अधिकार नहीं मिल जाता। अगर प्रदर्शन, हिंसा और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाता है तो हम सुनवाई नहीं करेंगे। 

उच्चतम न्यायालय ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस के कथित अत्याचार संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि राहत के लिये पहले उच्च न्यायालय जाना चाहिए। न्यायालयने ने यह भी पूछा कि दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान बसों को कैसे जलाया गया। प्रधान न्यायाधीश एस.ए.बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘‘ हम तथ्य जानने में समय बर्बाद नहीं करना चाहते, आपको पहले निचली अदालत में जाना चाहिए। ’’ इससे पहले, जामिया विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के संगठन के वकील ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए। वहीं प्रदर्शनकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि एएमयू, जामिया के छात्रों के खिलाफ एक के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई। इस पर पीठ ने कहा कि संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों के लिए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। 

पीठ ने कहा कि हमने अपनी सोच से अवगत करा दिया है कि नागरिक संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन के मामले में तथ्यों का पता लगाने की कवायद के लिये पहले उच्च न्यायालय जाना चाहिए। जामिया विश्वविद्याल कुलपति के मीडिया को दिए बयान पर विचार करने से इंकार करते हुये न्यायालय ने किसी भी न्यायिक नतीजे पर पहुंचने के लिये समाचार पत्रों पर निर्भर नही रहेंगे। होंगे। केन्द्र ने न्यायालय को बताया कि कोई भी छात्र जेल में नहीं है और घालय छात्रों को पुलिस अस्पताल ले गयी थी। न्यायालय ने केन्द्र से सवाल किया कि प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें कोई नोटिस क्यों नहीं दी गयी और क्या घायल छात्रों को मेडिकल सहायता दी गयी थी। 

 

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