Saturday, April 20, 2024
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महाराष्ट्र के आदिवासी स्टार्टअप ने 1.5 साल में 18.50 लाख की गिलोय बेची

महाराष्ट्र के ठाणे जिले के शाहपुर में आदिवासी एकात्मिक सामाजिक संस्था स्थानीय आदिवासियों के लिए रोजगार का एक बड़ा स्रोत बनकर उभरी है, जो कि आदिवासी उद्यमशीलता का एक आदर्श उदाहरण है, जिसने पिछले 1.5 वर्षों में 18.50 लाख रुपये की गिलोय की बिक्री की है।

IANS Reported by: IANS
Published on: April 11, 2021 12:57 IST
महाराष्ट्र के आदिवासी...- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE महाराष्ट्र के आदिवासी स्टार्टअप ने 1.5 साल में 18.50 लाख की गिलोय बेची

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के ठाणे जिले की सबसे बड़ी तालुका शाहपुर में आदिवासी एकात्मिक सामाजिक संस्था (एईएसएस) स्थानीय आदिवासियों के लिए रोजगार का एक बड़ा स्रोत बनकर उभरी है, जो कि आदिवासी उद्यमशीलता का एक आदर्श उदाहरण है, जिसने पिछले 1.5 वर्षों में 18.50 लाख रुपये की गिलोय की बिक्री की है। पश्चिमी घाटों से घिरे शाहपुर में संस्था के प्रयासों से न केवल 300 से अधिक आदिवासियों, मुख्य रूप से कृषि श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया है, बल्कि उनकी आय में वृद्धि भी सुनिश्चित की है।

केंद्र के वन धन विकास (वीडीवीके) आदिवासी स्टार्टअप कार्यक्रम के तहत शाहपुर में चल रही आदिवासी एकात्मिक सामाजिक संस्था दर्शाता है कि क्लस्टर विकास और मूल्यवर्धन कैसे सदस्यों को उच्च आय अर्जित करने में मदद कर सकता है। इस वीडीवीके के सदस्य बनने वाले अधिकांश आदिवासी कटकरी समुदाय के हैं, जो कि पुणे, रायगढ़ और महाराष्ट्र के ठाणे जिले के साथ ही गुजरात के कुछ हिस्सों में पाई जाने वाली एक जनजाति है। आदिवासी मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र से जुड़े मजदूर हैं, जो जलाने योग्य लकड़ी और कुछ जंगल के उगे फल बेचते हैं।

इस समुदाय के एक उद्यमी सदस्य सुनील पवारन और उनके दोस्तों ने कुछ समय पहले स्थानीय बाजारों में कच्चे गिलोय बेचने का काम शुरू किया था। वीडीवीके अब वन धन योजना के तहत 300 सदस्यीय इकाई बन गई है। वीडीवीके के पास 35 से अधिक उत्पादों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के साथ बड़े पैमाने पर संचालन और सौदे हैं।

गिलोय पाउडर बनाने की प्रक्रिया में आदिवासियों द्वारा पेड़ों पर फैली गिलोय की बेल काटना शामिल है, जिसे 8-10 दिनों तक सूखाया जाता है। इस सूखी गिलोय को शाहपुर में केंद्रीय सुविधा में लाया जाता है, जहां इसके पीस करके इसे पैक किया जाता है और ब्रांडेड तरीके से इसे प्रस्तुत किया जाता है। बाद में इसे ट्राइब्स इंडिया सहित खरीदारों को भेज दिया जाता है। गिलोय एक एंटीपायरेटिक हर्ब है, जो डेंगू बुखार में प्लेटलेट काउंट में सुधार करता है और जटिलताओं की संभावना को कम करता है।

बता दें कि गिलोय की बेल का जिक्र आयुर्वेद में भी है और इसे कई बीमारियों के इलाज में रामबाण माना जाता है। जनजातीय मामलों के मंत्रालय का कहना है कि समूह ने पिछले 1.5 वर्षों में, क्रमश: 12.40 लाख रुपये और 6.10 लाख रुपये का गिलोय पाउडर और सूखा गिलोय बेचा है। कुल बिक्री 18.50 लाख रुपये की हुई है।

पिछले एक-डेढ़ वर्षों में क्लस्टर के रूप में परिचालन करते हुए, वीडीवीके ने डाबर, बैद्यनाथ, हिमालया, विठोबा, शरंधर, भूमि प्राकृतिक उत्पाद केरल, त्रिविक्रम और मैत्री खाद्य पदार्थों सहित प्रमुख कंपनियों को कच्चा गिलोय बेचा है। हिमालया, डाबर और भूमि जैसी अधिकांश कंपनियों ने अब तक 1.57 करोड़ रुपये के 450 टन गिलोय का ऑर्डर दिया है। हालांकि कोविड-19 महामारी और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने वीडीवीके के संचालन को बाधित किया, मगर इसकी टीम का मनोबल नहीं डगमगाया। मंत्रालय ने कहा कि लॉकडाउन के कारण वीडीवीके पर पड़े प्रभाव से उसने इसे कम करने के लिए कड़ी मेहनत जारी रखी है।

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