Friday, March 29, 2024
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भारत में कोरोना ने ली 40 लाख लोगों की जान? डब्ल्यूएचओ की गणना पद्धति पर उठाए गए सवाल

कोरोना वायरस के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं। चीन में कोरोना के मामले डरा रहे हैं। वहीं भारत में भी नए मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच भारत ने कोविड संक्रमण से होने वाली मौत की गिनती के तरीक़े को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन पर सवाल उठाए हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 18, 2022 13:55 IST
Corona Cases- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Corona Cases

कोरोना वायरस के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं। चीन में कोरोना के मामले डरा रहे हैं। वहीं भारत में भी नए मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच भारत ने कोविड संक्रमण से होने वाली मौत की गिनती के तरीक़े को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन पर सवाल उठाए हैं। भारत ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों की गणना करने के लिए जो तरीक़ा अपनाया है, वह भारत के संदर्भ में ठीक नहीं है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत में कोरोना से 40 लाख लोगों की मौत का होना बताया गया है।भारत की ओर से इस बात के संदर्भ में कहा गया है कि भारत जैसे विशाल देश में, जहां इतनी अधिक आबादी रहती हो, वहां इस फ़ॉर्मूले को नहीं अपनाया जाना चाहिए। देश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारत ने इस संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपनी चिंता बता दी है।

दरअसल, न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस मामले पर एक लेख प्रकाशित किया था, जिसमें यह आरोप लगाते हुए दावा किया गया था कि भारत कोरोना संक्रमण के कारण होने वाली मौतों की सही संख्या जारी करने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद नहीं कर रहा है। इस लेख के बाद भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में कोरोना संक्रमण से हुई मौतों की गणना के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को क्रमवार छह पत्र भेजे हैं।

लेख में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस महामारी से हुई वैश्विक मृत्यु की गणना करने के प्रयास के दौरान पाया है कि मरने वालों की संख्या पहले की तुलना में बहुत अधिक है। लेकिन लेख में दावा किया गया है कि महामारी के इस सबसे घातक परिणाम को भारत की आपत्तियों के कारण महीनों से रिलीज़ नहीं किया जा सका है।

इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बयान दिया गया है। बयान में कहा गया है कि इस मुद्दे पर भारत सीधे तौर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ नियमित और गहन-तकनीकी आदान-प्रदान कर रहा है।

जानिए, भारत ने किस कारण से उठाए सवाल?

भारत की ओर से कहा गया कि इस विश्लेषण में मौत के आंकड़े टीयर 1 में शामिल देशों के अनुसार लिए गए हैं जबकि हिसाब लगाने वाला मैथमैटिकल फ़ॉर्मूला टीयर 2 देशों पर (जिसमें भारत शामिल है) लगाया गया है। भारत को नतीजे से शिकायत नहीं है बल्कि इस तक पहुंचने के लिए जो तरीक़ा अपनाया गया है उससे शिकायत है।

भारत ने डब्ल्यूएचओ को भेजे छह पत्रों के ज़रिए इस नतीजे पर पहुंचने की कार्यप्रणाली को लेकर अपनी चिंता ज़ाहिर की है। भारत ने चीन, ईरान, बांग्लादेश, सीरिया, इथियोपिया और मिस्र जैसे अन्‍य सदस्‍य देशों के साथ कार्यप्रणाली और अनौपचारिक डेटा के उपयोग के संबंध में भी सवाल खड़े किये हैं। भारत की मुख्य आपत्ति भौगोलिक स्थिति और जनसंख्या के घनत्व को लेकर है।

भारत का कहना है कि भारत जैसे विशाल भौगोलिक आकार और जनसंख्या वाले देश के लिए सांख्यिकीय मॉडल परियोजनाओं का अनुमान कैसे लगाया गया है। यह बेशक उन अन्य देशों के लिए सही है जिनकी आबादी कम है। भारत ने ज़ोर देकर कहा है कि अगर यह मॉडल विश्वसनीय है तो इसे सभी टियर-1 देशों के लिए उपयोग करते हुए प्रमाणित किया जाना चाहिए और उसके नतीजे को साझा किया जाना चाहिए।

क्या ख़ामियां हैं, जिनके आधार पर भारत कर रहा है विरोध?

इस मॉडल के तहत प्रत्येक महीने के तापमान और औसत मृत्‍यु दर के बीच एक विपरीत संबंध माना गया है और इनके बीच संबंध स्थापित करने के लिए कोई वैज्ञानिक तथ्‍य मौजूद नहीं है। इस प्रकार, भारत के इन 18 राज्यों के आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर की मृत्यु दर का अनुमान सांख्यिकीय तौर पर प्रमाणित नहीं है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने भी सोशल मीडिया पर लिखा भारत सरकार के अनुसार मौतों का आंकड़ा 5.2 लाख है, जबकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार ये आंकड़ा 40 लाख का है। 

 

 

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