Tuesday, May 21, 2024
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Assam News: गणित-विज्ञान को अंग्रेजी में पढ़ाने का आदेश, सरकार से फैसले वापस लेने की मागं हुई तेज

Assam News: शिक्षक और छात्र संगठनों ने शिक्षा क्षेत्र में राज्य सरकार की ओर से लिए गए अन्य फैसलों पर भी आपत्ति जताई।

Edited By: Malaika Imam
Published on: August 01, 2022 21:12 IST
Assam CM Himanta Biswa Sarma- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Assam CM Himanta Biswa Sarma

Highlights

  • असम के शीर्ष शिक्षक और छात्र संगठनों ने की फैसले वापस लेने की मांग
  • वर्नाक्युलर माध्यम के स्कूलों में स्थानीय या मातृ भाषा शिक्षा का माध्यम होती है
  • राज्य सरकार की ओर से लिए गए अन्य फैसलों पर भी आपत्ति जताई गई

Assam News: असम के शीर्ष शिक्षक और छात्र संगठनों ने सोमवार को राज्य सरकार से अपने उस हालिया आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की, जिसके तहत वर्नाक्युलर माध्यम के स्कूलों में क्लास तीन से विज्ञान और गणित जैसे विषयों की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में कराने का निर्देश दिया गया है। 

गौरतलब है कि वर्नाक्युलर माध्यम के स्कूलों में स्थानीय या मातृ भाषा शिक्षा का माध्यम होती है। शिक्षक और छात्र संगठनों ने शिक्षा क्षेत्र में राज्य सरकार की ओर से लिए गए अन्य फैसलों पर भी आपत्ति जताई, जिनमें सरकारी स्कूलों में दोहरे माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था लागू करना, शैक्षणिक संस्थानों के प्रांतीयकरण को रोकना और राज्य बोर्ड के तहत आने वाले स्कूलों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के अधीन स्थानांतरित करना शामिल है। 

असम साहित्य सभा (एएसएस), बोडो साहित्य सभा (बीएसएस), अखिल असम छात्र संघ (एएएसयू) और अखिल बोडो छात्र संघ (एबीएसयू) के नेतृत्व ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में लिए गए हालिया फैसलों को वापस लेने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को जल्द एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा जाएगा। 

'हम सरकार के हालिया फैसलों के खिलाफ कड़ा एतराज जताते हैं'

शिक्षक एवं छात्र संगठनों के बीच हुई चर्चा के बाद एएएसयू के प्रमुख सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हम सरकार के हालिया फैसलों के खिलाफ कड़ा एतराज जताते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार इन फैसलों पर पुनर्विचार करे और इन्हें तत्काल वापस ले।" 

भट्टाचार्य ने आरोप लगाया, "हमें लगता है कि ये आदेश मातृ भाषा में पढ़ाई कराने वाले स्कूलों और अंतत: असमी, बोडो व राज्य की अन्य भाषाओं के लिए मौत का फरमान साबित होंगे। लिहाजा हम इन फैसलों को रद्द करने की अपनी मांग को लेकर एक संयुक्त ज्ञापन सौंपेंगे।"

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