Tuesday, April 23, 2024
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अग्निपथ योजना के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, जानें केंद्र ने दी क्या दलीलें

दिल्ली हाईकोर्ट ने सशस्त्र बलों में भर्ती से संबंधित केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: December 15, 2022 22:04 IST
अग्निपथ योजना पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO अग्निपथ योजना पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

दिल्ली हाईकोर्ट ने सशस्त्र बलों में भर्ती से संबंधित केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। हाईकोर्ट ने अग्निपथ को सीधे तौर पर चुनौती देने वाली याचिकाओं के अलावा पिछले कुछ विज्ञापनों के तहत सशस्त्र बलों में भर्ती प्रक्रियाओं से संबंधित याचिकाओं पर भी अपना फैसला सुरक्षित रखा, जिन्हें अग्निपथ योजना शुरू होने के बाद रोक दिया गया था। 

केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट में क्या कहा

सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि जून 2021 में सशस्त्र बलों में अन्य सभी भर्तियों को रोकने और उन्हें रद्द नहीं करने का निर्णय इसलिए लिया गया था, क्योंकि तब तक अग्निपथ योजना को अंतिम रूप नहीं दिया गया था। केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि अग्निपथ योजना को इस साल जून में अंतिम रूप देकर आधिकारिक राजपत्र के जरिए अधिसूचित किया गया था। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील और केंद्र सरकार को 23 दिसंबर तक लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है, जिसके बाद अदालत में शीतकालीन अवकाश होगा। 

"यदि जॉब प्रोफाइल समान तो वेतन अलग-अलग कैसे?"
हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय सेना में अग्निवीरों और नियमित सिपाहियों (सैनिकों) के लिए अलग-अलग वेतनमान के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था, क्योंकि दोनों कैडरों का कार्यक्षेत्र समान है। केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अग्निवीर नियमित कैडर से अलग कैडर है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने जवाब में कहा, "अलग-अलग कैडर जॉब प्रोफाइल का जवाब नहीं देते, सवाल काम और जिम्मेदारी का है।" हाईकोर्ट ने कहा, "यदि जॉब प्रोफाइल समान है, तो आप अलग-अलग वेतन को कैसे उचित ठहरा सकते हैं? बहुत कुछ जॉब प्रोफाइल पर निर्भर करेगा। इस पर निर्देश प्राप्त करें और इसे एक हलफनामे पर रखें।" भाटी ने कहा कि अग्निवीरों के लिए नियम, शर्ते और जिम्मेदारियां सैनिकों से अलग होती हैं।उन्होंने कहा, "अग्निवीर कैडर को एक अलग कैडर के रूप में बनाया गया है। इसे एक नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा। चार साल तक अग्निवीर के रूप में सेवा करने के बाद यदि कोई स्वेच्छा से काम करता है और फिट पाया जाता है, तो उसे नियमित कैडर में भेज दिया जाएगा।"

"यह योजना जल्दबाजी में नहीं बनाई गई"
केंद्र ने कहा कि यह योजना जल्दबाजी में नहीं बनाई गई है, बल्कि युवाओं के मनोबल को बढ़ाने और अग्निवीरों की स्किल मैपिंग के लिए काफी अध्ययन के साथ तैयार की गई है। एएसजी ने कहा कि अग्निवीर योजना पर फैसला लेने में पिछले दो सालों के दौरान बहुत कुछ किया गया है, जैसे कई आंतरिक और बाहरी परामर्श, कई बैठकें हुई। हितधारकों के साथ भी परामर्श किया गया। भाटी ने यह भी तर्क दिया कि चूंकि भारतीय सशस्त्र बल दुनिया में सबसे अधिक पेशेवर सशस्त्र बल हैं, इसलिए जब वे इस तरह के बड़े नीतिगत फैसले ले रहे हों, तो उन्हें बहुत अधिक छूट दी जानी चाहिए।

अग्निपथ योजना के खिलाफ कई राज्यों में हुए थे प्रदर्शन
बता दें कि इस साल 14 जून को शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत सशस्त्र बलों में युवकों की भर्ती के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं। इन नियमों के अनुसार, साढ़े 17 से 21 साल की उम्र के लोग आवेदन करने के पात्र हैं और उन्हें चार साल के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती किया जाएगा। चार साल के बाद इनमें से 25 प्रतिशत को नियमित सेवा प्रदान करने का मौका दिया जाएगा। योजना के ऐलान के बाद कई राज्यों में इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे। बाद में सरकार ने साल 2022 के लिए भर्ती की अधिकतम उम्र सीमा बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी थी। 

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